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Sunday, November 24, 2024
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  योगी के दांव से अखिलेश-मायावती के चूल्हे हिले! निकाय चुनाव में 395 मुस्लिम उतारे 

सीएम योगी ने यूपी निकाय चुनाव में 395 मुस्लिम उम्मीदवार कर सपा और बसपा की परेशानी बड़ा दी है। बीजेपी ने मेयर की सभी 17 सीटों पर जीत दर्ज कर इन पार्टियों के लिए आगामी लोकसभा के लिए नया मैसेज छोड़ा है।      

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के साथ उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव का भी परिणाम शनिवार को आया। जहां कांग्रेस को पहली बार 135 सीटों पर कामयाबी मिली है। वहीं, बीजेपी भी यूपी के नगरीय चुनाव में इतिहास रच दिया। यूपी के 17 महापौर के सीटों में से सभी पर अपना परचम लहराया। इसके साथ ही बीजेपी ने नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के लिए हुए चुनाव में पार्टी का जलवा देखने को मिला। दरअसल, माफिया अतीक अहमद और अशरफ हत्या के बाद से बसपा और सपा दोनों दल बीजेपी पर हमलावर थी।

वहीं बसपा ने बीजेपी को निकाय चुनाव में हराने के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था। लेकिन मायावती का यह दांव सीएम योगी की रणनीति के आगे काम नहीं आया। इसी तरह समाजवादी पार्टी को भी मुंह की खानी पड़ी। मायावती ने यूपी की 17 मेयर सीटों के लिए 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, पर कोई फ़ायदा नई हुआ। इसी तरह अखिलेश यादव भी अतीक अहमद के मुद्दे पर राज्य सरकार पर हमलावर थे। एक तरह से कहा जा सकता है कि समाजवादी पार्टी माफिया अतीक अहमद का समर्थन करती आई।

वहीं, समाजवादी पार्टी के बाद मायावती भी मुस्लिमों की रिझाने में लग हुई थीं। यही वजह है कि उन्होंने माफिया डॉन अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को प्रयागराज नगर निगम के लिए मेयर का टिकट देने का मन बनाया था। लेकिन उमेश पाल हत्याकांड के बाद इस केस में शाइस्ता का नाम सामने आने के बाद उन्होंने अपना हाथ पीछे खींच लिया। लेकिन उन्होंने शाइस्ता को पार्टी से बाहर नहीं किया। माना जा रहा है कि मायावती ने मुस्लिम समुदाय में यह संदेश देने की कोशिश की कि बुरे वक्त में पार्टी उनके साथ खड़ी है। इसलिए उसे पार्टी से नहीं  निकाला।

हालांकि, बसपा का यह हथकंडा निकाय चुनाव में काम नहीं आया। जबकि, बीजेपी को मुस्लिमों की दुश्मन पार्टी बताया जाता रहा है। बावजूद इसके बीजेपी ने निकाय चुनाव में बड़ी संख्या में मुस्लिमों  पर दांव खेलकर राजनीति पंडितों को चौंका दिया। बार बार चुनावों में कहा जाता है कि बीजेपी मुस्लिमों को टिकट नहीं देती है। लेकिन जिस तरह से इस बार के यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय को आगे की है। उसके मतलब भी निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि यूपी बीजेपी ने लोकसभा की तैयारी की यह झांकी दिखाई है। आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती है। यही वजह रही कि निकाय चुनाव की कमान खुद सीएम योगी संभाल रहे थे। जबकि बसपा और सपा इस चुनाव में कहीं दिखाई नहीं दी।  अखिलेश यादव निकाय चुनाव में बहुत देर से उतरे तब तक सीएम योगी के रंग में यूपी का निकाय चुनाव रंग चुका था और बाजी बीजेपी के हाथ लगी।

राज्य बीजेपी ने इस बार के नगर निकाय चुनाव में ट्रिपल इंजन का नारा दिया था। जिस पर जनता ने मुहर लगा दी। कहा जा रहा है कि “यूपी की लोकल सरकार’ से जहां बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में धार मिलेगी। वहीं, इस जीत से कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है। सबसे बड़ी बात यह है कि निकाय चुनाव में बीजेपी ने 395 मुस्लिम उम्मीदवारों पर अपना दांव लगाया था। ये मुस्लिम उम्मीदवारों ने भी अपना लोहा मनवाया। कहा जा रहा है कि बीजेपी का नारा सबका साथ, सबका विकास के साथ आगे बढ़ रही है।

गौरतलब है कि बीजेपी ने नगर निकाय चुनाव के लिए खास तरह की योजना बना रखी थी। दरअसल इस चुनाव के लिए योगी सरकार ने हर सीट के लिए रणनीति बनाकर चुनाव प्रचार किया और जीत हासिल की है। जिसकी वजह से विपक्ष पूरी तरह से बीजेपी के चक्रव्यूह में उलझा नजर आया। बीजेपी के संगठन से दो नेता लगातार निकाय चुनाव में  लगे। साथ ही मुख्यमंत्री योगी ने इस चुनाव के लिए 50 से ज्यादा सभाएं की। इस चुनाव में सीएम योगी अपने चुनावी भाषणों में विकास का मुद्दा खूब उछाले ,साथ ही उन्होंने राज्य में कानून व्यवस्था का जिक्र अपने हर भाषणों में कर रहे थे।

इसके अलावा राज्य के मंत्री भी इस चुनावी मैदान में पसीना बहते नजर आये। शाहजहांपुर नया निगम बनाये जाने के बाद इस सीट को जीतने के लिए बीजेपी ने तीन तीन मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतारा था। यहां बीजेपी ने जीत तो दर्ज की ही, साथ ही, अलीगढ़ और मेरठ सीट पर   भी अपना डंका बजाया। ये दोनों सीटें बीएसपी के कब्जे में थी, जिसे बीजेपी ने इस बार के निकाय चुनाव  में छीन लिया। वहीं, निकाय चुनाव में बीजेपी से उतारे गए मुस्लिम उम्मीदवारों में से छह ने नगर पालिका परिषद, बत्तीस नगर पंचायत अध्यक्ष और कई मुस्लिम प्रत्याशी सभासद और पार्षद का चुनाव जीते हैं। इसके अलावा भाजपा ने वेस्ट यूपी में नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 18 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। ब्रज से आठ, अवध में छह और गोरखपुर में दो दो सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे गए थे।

वहीं, लखनऊ के हुसैनाबाद वार्ड से मुस्लिम प्रत्याशी लुबना अली खान, गोरखपुर नगर निगम  वार्ड से हकिकुन निशां, अमेठी से जैबा खातून, नगर पंचायत सिलवालखास के वार्ड 5 से शहजाद, वार्ड 3 से रुखसाना और संभाल के सिरसा नगर पंचायत से कौसर अब्बास ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल किये हैं। इसी तरह बीजेपी के टिकट पर नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए बरेली की धौराटांडा सीट से नदीम उल हसन, मुरादाबाद के भोजपुर धरमपुर से फ़रखंडा  जबीं, सुल्तानपुर की चिलकाना से फुलबानो और गोपामऊ नगर पंचायत अध्यक्ष पद से वली मोहम्मद ने जीत दर्ज की है। बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि यूपी निकाय चुनाव में पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के वोट में भी सेंध लगाई है। बहरहाल यह तय है कि यूपी में पीएम मोदी और सीएम योगी का जादू जनता के सिर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में देखना होगा कि विपक्ष जब एकजुट होकर लोकसभा भी उतरेगा तो क्या यह जादू फिर चलेगा की नहीं।

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