बॉलीवुड अभिनेत्री वाणी कपूर को अपनी आगामी फिल्म अबीर गुलाल को पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान के साथ प्रमोट करने को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का गुस्सा उस समय औरफुट पड़ा जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई।
ज्ञात हो की फिल्म ‘अबीर गुलाल’ में वाणी कपूर और फवाद खान एक साथ नजर आने वाले है। इस फिल्म का प्रमोशन हाल ही में दुबई में किया गया, जिसमें दोनों कलाकार एक साथ शामिल हुए। सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने वाणी कपूर की इस गतिविधि की निंदा की और पूछा कि उन्होंने पहलगाम हमले को लेकर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी।
एक यूज़र ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “Boycott Vaani Kapoor”, जबकि एक अन्य ने इंस्टाग्राम पर टिप्पणी करते हुए कहा, “उसका देश हमारे लोगों को मार रहा है और तुम उसके साथ घूम रही हो?” एक अन्य यूज़र ने लिखा, “वाणी कपूर फवाद खान के साथ इंस्टा लाइव कर रही थीं जब कश्मीर में निर्दोष लोग मारे जा रहे थे। उन्होंने इस पर एक स्टोरी तक नहीं डाली।”
फिलहाल वाणी कपूर ने इन आलोचनाओं या पहलगाम हमले पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है।
इस फिल्म को लेकर पहले से ही विवाद था। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता अमेय खोपकर ने फिल्म की रिलीज़ का विरोध करते हुए थिएटर मालिकों को चेतावनी दी थी कि वे राज्य में फिल्म न चलाएं। उन्होंने कहा था, “चाहे हम कितनी भी बार कहें कि पाकिस्तानी कलाकारों की फिल्में भारत में रिलीज़ नहीं होंगी, कुछ लोग बार-बार वही गलती करते हैं। ऐसे में मनसे सैनिक उन्हें कचरे में फेंक देंगे।”

अबीर गुलाल का प्रीमियर भारत में अभी नहीं हुआ है। सभी प्रचार कार्यक्रम फिलहाल दुबई जैसे अंतरराष्ट्रीय स्थलों पर आयोजित किए जा रहे हैं। यह फिल्म 9 मई 2025 को भारत में रिलीज़ होने वाली है, लेकिन विरोध के कारण इसकी स्क्रीनिंग को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
हैरानी की बात है की पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद भी बॉलीवुड का एक तबका अपनी आदतों से बाज़ नहीं आ रहा। वाणी कपूर का पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान के साथ फिल्म अबीर गुलाल का प्रमोशन करना न सिर्फ़ असंवेदनशील है, बल्कि यह उस नैतिक दिवालियेपन का प्रतीक है जिससे बॉलीवुड बार-बार जूझता रहा है।
जब पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद देश के भीतर लगातार मासूम जानें लील रहा है, तब उसी देश के कलाकारों के साथ हाथ मिलाना क्या सिर्फ़ एक “क्रिएटिव कोलैबोरेशन” है या कुछ ज़्यादा? वाणी कपूर जैसी कलाकारों से यह उम्मीद तो कम से कम की जाती है कि वे देश की संवेदनाओं को समझें, न कि ऐसी फिल्म का प्रचार करें जब देश शोक में डूबा हो।
बॉलीवुड बार-बार यह दावा करता है कि वह “देश की आवाज़” है, लेकिन जब भी आतंकवाद और राष्ट्रविरोध की बात आती है, वही इंडस्ट्री चुप्पी ओढ़ लेती है। यह दोहरा चरित्र अब दर्शकों को भी साफ़ दिखने लगा है। वाणी कपूर का मौन और फिल्म का प्रचार दुबई में करना, इस बात का संकेत है कि इस फिल्म के निर्माताओं को देश की पीड़ा से ज़्यादा चिंता टिकट खिड़की की है।
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