जिस धरती को जन्नत कहा जाता है, उसी कश्मीर की खूबसूरत बैसरन घाटी में इस्लामी आतंक का ऐसा कहर बरपा कि एक खुशहाल परिवार त्रासदी में बदल गया। फ्लोरिडा, अमेरिका में बीते एक दशक से बसे कोलकाता के 40 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ बितान अधिकारी, मंगलवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए। उनका कसूर बस इतना था कि वे अपने परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाने कश्मीर चले गए थे।
बितान 8 अप्रैल को पत्नी सोहिनी और तीन वर्षीय बेटे हिरदान के साथ कोलकाता लौटे थे। अमेरिका से लौटने के बाद वे चाहते थे कि अपने देश की वादियों में परिवार संग कुछ सुकून के पल बिताएं। लेकिन कश्मीर की वह यात्रा उनकी जिंदगी की आखिरी यात्रा बन गई।
हमले में जहां बितान की पत्नी और बेटा किसी चमत्कार से बच गए, वहीं बितान गोलियों की बौछार में काल का ग्रास बन गए। उनके पिता ने कहा, “वह हम सभी को साथ ले जाना चाहता था, लेकिन मैंने उसे केवल अपनी पत्नी के साथ जाने को कहा… दोपहर में बात हुई थी, उसके बाद क्या हुआ, हम नहीं जानते।” उनके भाई की बात दिल दहला देने वाली है—”कश्मीर से लौटकर लंबी यात्रा की योजना थी… हमें नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बात होगी।”
यह कहानी सिर्फ बितान की नहीं, उन 26 अन्य लोगों की भी है, जिनके जीवन एक इस्लामी कट्टरपंथी विचारधारा की नफरत की भेंट चढ़ गई। आतंकियों ने पर्यटकों को पहचान के आधार पर निशाना बनाया, धर्म पूछकर गोलियां चलाईं, और एक बार फिर साबित किया कि आतंक का चेहरा न सिर्फ हिंसक, बल्कि मजहबी भी है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “इस अमानवीय आतंकी हमले में अपने प्रियजनों को खोने वाले सभी परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि बितान का पार्थिव शरीर उनके परिवार को सौंपने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में छोड़ दी और तत्काल दिल्ली लौटकर सुरक्षा एजेंसियों के साथ आपात बैठक की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुंचे और राज्य प्रशासन के साथ उच्चस्तरीय बैठकें कीं। इलाके में तलाशी अभियान अभी भी जारी है।
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