ऐसा क्या है दिल्ली में की शर्म आए?

ऐसा क्या है दिल्ली  में की शर्म आए?

What is there in Delhi that makes one feel ashamed?

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने बयान से  लोगों का दिमाग जरूर खोला होगा की उन्हें दिल्ली की जनता से आखिर कहना क्या चाहते है। नई दिल्ली की जनसभा में दक्षिण भारतीय समाज को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा मुझे विदेश जाकर यह कहने में शर्म आती है कि हमारी राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले लोगों को घर नहीं मिलते, सिलेंडर नहीं मिलते, जल जीवन मिशन के तहत पाइप से पानी नहीं मिलता और उन्हें आयुष्मान भारत का लाभ नहीं मिलता।

आम आदमी पार्टी दिल्ली में पिछले 10 सालों से सत्ता में बैठी है, इस पार्टी के मुख्य नेता अरविंद केजरीवाल के इशारों पर ही ये पार्टी चलती भी है। और इसी नेता के अहंकार के चलते राष्ट्रिय राजधानी होकर भी नई दिल्ली के लोगों को घर, सिलेंडर और पाइप लाइन से पानी जैसी बेसीक जरूरतें भी नहीं मिल रही है। आप आदमी पार्टी अपनी हर नाकामी और निष्क्रियता पर केंद्र सरकार को ही जवाब देते आयी है। तो इसमें भी अपनी निष्क्रियता के लिए केजरीवाल के नेताओं ने अपने बदन पर लगा कीचड़ भाजपा वालों पर पोछने की कोशिश की दुःख कैसा? 

ओडिशा में बीजू जनता दल की सरकार लंबे समय से थी, भाजपा के विरोधी सरकार, ग्राउंड लेवल पर कट्टर दुश्मनी, पर बीजेडी नेता नवीन पटनायक ने दो पार्टियों के बीच के संघर्ष को कभी राज्य का संघर्ष नहीं बनाया, इससे विपरीत अपने सभी अहंकारों को बाजू में रखकर समय समय पर प्रधानमंत्री मोदी को चुरन दे देकर अपने राज्य में योजना ले जाते रहे।

केरल में यही हो रहा है, केरल के साम्यवादी पार्टी और राष्ट्रिय विचार की पार्टी भाजपा में बहुत बड़ा वैचारिक संघर्ष है। ये संघर्ष इतना बड़ा है की भाजपा के नेताओं को तक केरल में मारा गया है, लेकीन बात जब कुछ योजनाओं की आती है, तो वो भी इसे स्वीकारते है। यहां सवाल केंद्र से मिलने वाले इन पैसे का विनियोग वो किस प्रकार से करते है ये न होकर वो केंद्र के साथ अच्छे संबंध बनाकर रखते है इस बात से है। 

अरविंद केजरीवाल ने 2015-2019 इन सभी चुनावों में कहा में दिल्ली की सड़के यूरोप के जैसी बनाऊंगा न बनाऊंगा तो वोट मत देना, दिल्ली की जनता को अच्छा और सस्ता पानी दूंगा, यमुना को साफ कर उसमें डुबकि लगाऊंगा। इन सब वादों में वो 5 प्रतिशत काम भी नहीं कर सकें है। ये सारे काम वो इसीलिए नहीं कर पाए क्योंकि वो अहंकारी है, उनका अहंकार उन्हें अपने आप को मोदी, शाह, राजनाथ सिंह, गड़करी जैसे कद्दावर नेताओं से बड़ा बताता है। इसी अहंकार से वो मोदी से योजना मांगने के लिए नम्रता के साथ झुक नहीं सकते। इसी अहंकार के कारण वो गडकरी के सामने अच्छी गुणवत्ता के रास्ते मांग नहीं सकते। और इसी अहंकार से अरविंद केजरीवाल अगले 50 साल तक भी दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते है तो भी वो दिल्ली के लोगों को केंद्र के लाभ दिलवाने में अक्षम रहेंगे। 

नई दिल्ली की जनसभा से विदेश मंत्री एस जयशंकर इसी बात को समझाने की कोशिश कर रहे थे की दिल्ली के मुख्यमंत्री के अहंकार के कारण देश की महत्वपूर्ण योजनाए चाहे हर घर में नल से पाइपलाइन बिठानी हो, कूड़े से मुक्ति हो, आयुष्यमान भारत की सेवा हो, गुणवत्तापूर्ण सड़कें हो या फिर प्रदूषण की समस्या हो किसी में भी सुधार की गुंजाईश करना बेकार है। 

दिल्ली चुनावों में कांग्रेस की वापसी के बाद सबसे अधिक डर तो भाजपा को लगना चाहिए था लेकीन लग आप को रहा है, क्योंकि आप का कोर वोटर कांग्रेस के पास जा रहा है, और वो जा इसी लिए रहा है क्योंकि पिछले दस साल में केजरीवाल पूरी तरह से एक्सपोज़ हो चुके है। 

इन चुनावों में उन्होंने वादा किया है की वो यमुना साफ़ करेंगे, दिल्ली की सड़के यूरोप जैसी बनाएँगे, हर घर में नल से पानी देंगे। हर पांच सालों में वही विकास के मुद्दे ले जाने के लिए बेशर्मी चाहिए। जनता के बीच बेशर्मी से ये कहने की हिम्मत चाहिए की आपको पिछले चुनाओं में किए वादे मैंने एक प्रतिशत भी पुरे नहीं किए, मुझे वोट दो अगली बार जरूर करूँगा, ये बेशर्मी नेताओं होती है। और अगर नेता आम आदमी पार्टी का हो तो वो ऐसे सैकड़ों झूठ, किसी भी शर्म के बिना एक सांस में लेगा, वहीं एस जयशंकर कोई नेता न होकर टेक्नोक्रॅट है, इसिलए उन्हें दिल्ली की हालत देखकर शर्म आना लाजमी है।

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