आगामी बीएमसी चुनाव में क्या भाजपा-मनसे का गठबंधन होगा। इन दिनों चर्चा जोरों से चल रही है। BJP के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल औऱ MNS प्रमुख राज ठाकरे की मुलाकात से महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर से गरमा गई है। शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने के बाद से भाजपा जमीनी स्तर पर लगातार अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी हुई है। ऐसे में भाजपा क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर महाराष्ट्र की जनता के बीच पहुंच बनाने में जुटी है। बीते 15 दिनों में राज ठाकरे और चंद्रकांत पाटिल की ये दूसरी मुलाकात हुई है। जिसे लेकर खबरों का बाजार गर्म है। BMC का 2022 में चुनाव होना है। इसे देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि इस चुनाव के लिए BJP और MNS गठबंधन कर सकते हैं। गठबंधन के सवाल पर बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल ने कहा था कि राज ठाकरे को उत्तर भारतीयों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। बीएमसी पर इस समय शिवसेना का कब्जा है और इसका कार्यकाल अगले साल 7 मार्च को खत्म होने जा रहा है। मुंबई के अलावा ठाणे, पुणे, नाशिक और नागपुर सहित 17 अन्य निगमों का कार्यकाल भी जल्द खत्म होने जा रहा है।
राज ठाकरे के चचेरे भाई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना बीएमसी पर तीन दशकों से अधिक समय से शासन कर रही है। मनसे ने पिछले बीएमसी चुनावों में सात सीटें जीती थीं, पर उसके 6 नगरसेवकों को शिवसेना ने फोड़ लिया। यदि मनसे और बीजेपी एक साथ जुड़ते हैं तो निश्चित महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आएगा। पर यह कोई पहला मामला नहीं है जब बीजेपी और मनसे के एक साथ आने की खबरें सुर्खियां बनी हैं। इसके पहले भी नितिन गडकरी और राज ठाकरे के बीच में वर्ली के एक होटल में मुलाकात हुई थी। तब गडकरी ने भी ऐसे ही संकेत दिए थे। महाराष्ट्र बीजेपी इन दिनों शिवसेना का तोड़ ढूंढने में जुटी हुई है। राज ठाकरे को अपने साथ मिलाकर बीजेपी, शिवसेना के मराठी वोट बैंक पर सेंध लगाना चाहती है। शिवसेना से भाजपा की लगातार दूरियां बढ़ रही हैं। इन दूरियों को देखते हुए शायद भाजपा मनसे से गठबंधन करना चाहती है,पर मनसे को साथ लेने से मुंबई-ठाणे के भाजपा के उत्तर भारतीय मतदाता क्या भाजपा को वोट करेंगे? इस तरह की चर्चा सियासत के गलियारे में चलने लगी है। क्योंकि मनसे का उत्तर भारतीयों के प्रति व्यवहार ठीक नहीं रहा है। अब भाजपा क्या मनसे से गठबंधन करेगी या नहीं,यह तो आनेवाला समय ही बताएगा,पर हां भाजपा के विरोधी दलों की इस गठबंधन पर जरूर निगाहें टिकी हैं।