सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया और वोटों की गिनती के दौरान वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) में सभी रसीदों की गिनती करने का निर्देश दिया। इससे पहले लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में किन्हीं पांच ईवीएम मशीनों और वीवीपैट से प्राप्त रसीदों का सत्यापन किया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक मांग की गई थी कि सभी वीवीपैट में प्राप्तियों का सत्यापन किया जाना चाहिए|
यह याचिका वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर की गई थी। यह दलील लीजिए| बीआर गवई और न्या.संदीप मेहता की बेंच ने फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की वकील नेहा राठी की ओर से दायर याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को भी चुनौती दी गई है|चुनाव आयोग के इस तर्क को चुनौती दी गई थी कि वीवीपैट पेपर पर्चियों (रसीदों) की एक के बाद एक गिनती करने से वोटों की गिनती में देरी हो सकती है|
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यदि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अधिक मतगणना अधिकारी तैनात किए जाते और वीवीपैट पेपर पर्चियों की गिनती एक साथ की जाती, तो संपूर्ण वीवीपैट सत्यापन केवल पांच से छह घंटे में पूरा किया जा सकता था। याचिका में आगे कहा गया है कि सरकार ने 2.4 लाख वीवीपैट मशीनों के लिए लगभग 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। लेकिन वर्तमान में केवल 20,000 वीवीपैट पेपर पर्चियों का सत्यापन किया जा रहा है।
याचिका में आगे कहा गया कि सभी वीवीपैट स्लीपों की गिनती की जानी चाहिए। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह मतदाता को वीवीपैट मशीन से पेपर स्लिप देखने और उसे मतपेटी में डालने की अनुमति दे|
वीवीपैट मशीन क्या है?: एक वीवीपैट मशीन ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की बैलेट यूनिट (बीयू) से जुड़ी होती है। जब कोई मतदाता ईवीएम पर अपना वोट डालता है, तो उसका मत वीवीपैट में जमा हो जाता है। मतदाता ने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है उसका चुनाव चिन्ह VVPAT मशीन में प्रदर्शित होता है। यानी वीवीपैट मशीन यह सुनिश्चित करने के लिए है कि वोटर सही व्यक्ति के पास गया है। मतदाता केवल वीवीपैट मशीन में ही मतपत्र देख सकते हैं। सात सेकेंड के बाद मतपत्र स्वचालित रूप से वीवीपैट मशीन में जमा हो जाता है।
2010 में सामने आया VVPAT का कॉन्सेप्ट: VVPAT मशीन का कॉन्सेप्ट पहली बार 2010 में सामने आया। इस साल चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीनों और मतदान प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए राजनीतिक दलों से बातचीत की। काफी चर्चा के बाद वोटिंग के दौरान वीवीपैट के इस्तेमाल का मुद्दा तकनीकी क्षेत्र की विशेषज्ञ समिति को भेजा गया|
उसके बाद दो सरकारी कंपनियों भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने वीवीपैट मशीनों के प्रोटोटाइप तैयार किए थे। इस मशीन का परीक्षण जुलाई 2011 में लद्दाख, तिरुवनंतपुरम, चेरापूंजी, पूर्वी दिल्ली, जैसलमेर जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया गया था। इस परीक्षण के बाद ही फरवरी 2013 में तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने वीवीपैट मशीन के डिजाइन को मंजूरी दे दी।
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