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वायुसेना में आत्मनिर्भरता: लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए 48 हजार करोड़ का बजट!

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भारत ने अपने स्वयंनिर्मीत लड़ाकू विमान और हवाई इंजन के लिए एक साहसी कदम उठाया है। भारत ने आधुनिक विमानों और इंजन के लिए अलग से 48 हजार करोड़ के बजट का इंतजाम किया है। रक्षा बजट के अंदर ही लड़ाकू जहाजों के आधुनिक हवाई इंजन की निर्मिती और शोधकार्य के लिए योजना की गई है। भारत की वायुसेना को पूर्णतः से आत्मनिर्भर बनाने की ओर यह पहला कदम कहा जा रहा है।

भारत की वायुसेना कई वर्षों से अमेरिका, रूस और यूरोपियन देशों के लड़ाकू विमानों पर निर्भर रही है। साथ ही भारत के HAL द्वारा इंडीजीनियस तरीके से बनाए गए तेजस फाइटर जेट में भी अमेरिका के जेनेरल इलेक्ट्रीक द्वारा बनाए हवाई इंजन लगाए गए है। हालांकि भारत ने लड़ाकू विमान के इंजन में आत्मनिर्भरता पाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

बता दें की, हाल में भारत के इंडीजीनियस तरीक़े से बनाए गए कावेरी इंजिन को पिछले साल के 24 दिसम्बर को ही इनफ्लाइट टेस्टींग के लिए मंजूरी दी गई है। दरम्यान इसी क्षेत्र में भारत के ओर भी प्रयास जारी है। इससे भारत की वायुसेना को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन मिलने वाला है।

दरम्यान फरवरी के बजट में भारत सरकार ने श्रेणीगत रूप से लड़ाकू विमानों के इंजन की निर्मिती के लिए 48,614 करोड़ के बजट को संरक्षित किया है। DRDO की स्पेशल लैब गैस टरबाईन अनुसंधान संस्थान (GTRE) के तहत नए आधुनिक लड़ाकू इंजन को भारत की वायुसेना के लिए तैयार किया जाएगा। इस बजट को दो कारणों के लिए इसे संरक्षीत करने की बात की गई है, जिसमें पहला आधुनिक हवाई जहाजों के अधिग्रहण और विकास के लिए इस बजट का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही भारत में हवाई इंजन की निर्मिती के लिए बजट का महत्वपूर्ण हिस्सा इस्तेमाल किया जाएगा

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बता दें की, इस वर्ष के रक्षा बजट में 9.5 की बढ़त के साथ 6.81 लाख करोड़ किया गया है। पिछले कई सालों में रक्षा क्षेत्र के लिए इतनी बड़ा संरक्षण पहली बार किया गया है, इसके बावजूद आलोचकों ने रक्षा पेंशन के लिए बजट को बढ़ाए जाने की बात की है। हालाँकि, विशेषज्ञों ने इस बात की सरहाना की है की, इसमें जितने प्रतिशत कि बढत दी गई है उतनी प्रतिशत के रक्षा निर्माण पर खर्च किया जाना है।

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