Bangladesh: मुस्लिम संघटन का दावा बीफ खाना ‘इस्लामीक ड्यूटी’, बीफ न देने वाले रेस्तराँ बंद करने की मांग!

Bangladesh: मुस्लिम संघटन का दावा बीफ खाना ‘इस्लामीक ड्यूटी’, बीफ न देने वाले रेस्तराँ बंद करने की मांग!

Bangladesh: Muslim organization claims eating beef is an 'Islamic duty', demands closure of restaurants that do not serve beef!

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में मुस्लिम कंज्यूमर राइट्स काउंसिल नामक संगठन ने बंगशाल इलाके में एक रैली आयोजित की, जिसमें गोमांस न परोसने वाले रेस्तराओं का बहिष्कार करने की मांग की जा रही है। प्रदर्शनकारियों ने रेस्तराओं के मेनू में गोमांस के व्यंजन अनिवार्य होने चाहिए और जो रेस्तराँ ऐसा करने में विफल रहते हैं, उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए ऐसी मांग की है।

इस ग्राहक अधिकार काउंसिल का दावा है की जो रेस्तराँ गोमांस नहीं परोसते, वे इस्लामी विचारधाराओं के विरुद्ध हैं।ढाका ट्रिब्यून वृत्तपत्र ने काउंसिल के संयोजक मुहम्मद आरिफ अल खबीर के हवाले से कहा कि गोमांस इस्लामी पहचान का प्रतीक है। साथ ही इसमें कहा गया है की पश्चिमी देश जिनके रेस्तराँ में हलाल भोजन नहीं दिया जाता वह मुनाफिक है।

ढाका ट्रिब्यून ने बताया कि प्रदर्शनकारी पुराने ढाका के बंगशाल इलाके में होटल ‘अल रज्जाक’ के सामने इक्कट्ठा होकर नारे लगाने लगे। इन नारों में हिंदूओं के प्रति नफरत साफ़ झलकती है, “बीफ न परोसने वाले रेस्तराँ भारत और हिंदुत्व के एजेंट हैं। ऐसे प्रतिष्ठानों का बहिष्कार करें”, “गाय का गोबर या गोमांस? गोमांस! गोमांस!” इन नारों से बांग्लादेश में हिंदुओं प्रति घृणा का स्वरुप दिखता है।

मुहम्मद आरिफ अल खबीर ने कहा कि ऊँट का मांस खाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन मुसलमानों के लिए ऊँट खाना एक कर्तव्य बन गया है क्योंकि उन्हें यहूदी आहार नियमों से ऊपर इस्लाम के प्रति अपनी निष्ठा स्थापित करनी थी। इसी तरह, गोमांस खाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन मुसलमानों के लिए हिंदू मान्यताओं से ऊपर इस्लाम के प्रति अपनी निष्ठा दिखाना ज़रूरी है।

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आरिफ ने कुरान के सूरह अल-बक़रा से आयत 208 का हवाला देते हुए समझाया, “हालाँकि ऊँट का मांस खाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यहूदी आहार नियमों से जुड़े होने के कारण यह मुसलमानों के लिए ज़रूरी हो गया है। इसी तरह, हिंदू मान्यताओं के संदर्भ में, गोमांस खाना मुसलमानों के लिए आस्था की घोषणा बन जाता है।”

इसी के साथ आरिफने कहा कि पश्चिमी देशों को भी अपने रेस्तराँ में हलाल खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए क्योंकि वे मुसलमानों को अलग-थलग करना चाहते हैं। पश्चिमी देशों में यहूदी और ईसाई अपने रेस्तराँ में हलाल भोजन नहीं रखते हैं, क्योंकि वे मुसलमानों को समायोजित नहीं करना चाहते हैं। मुसलमानों के पास अपने अलग हलाल भोजनालय खोलने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

आरिफ अल खबीर ने कहा कि सभी रेस्टोरेंट को अपने मेन्यू में कम से कम एक बीफ डिश शामिल करके मुसलमानों के प्रति अपना समर्थन घोषित करना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो वो निश्चित भारत और हिंदुत्व के एजेंट हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें देश भर में बहिष्कार का सामना करना चाहिए।

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