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Monday, July 14, 2025
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बांग्लादेश में 9 दिनों में 24 बलात्कार

महिलाओं पर हिंसा बन गई है ‘महामारी स्तर’ की समस्या

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बांग्लादेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा अब एक भयावह संकट बन चुकी है। 20 जून से 29 जून के बीच केवल 9 दिनों में बलात्कार के कम से कम 24 मामले दर्ज किए गए, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया है। खासकर भोला जिले में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और कुमिल्ला जिले में हिंदू महिला के साथ हुए कथित बलात्कार ने देश को झकझोर कर रख दिया है।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, बीते सप्ताह भोला जिले में एक महिला के पति को दो दिन तक बंधक बनाकर रखने के बाद महिला से सामूहिक बलात्कार किया गया। इस मामले में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी से जुड़े संगठनों के सात कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।

इसी तरह कुमिल्ला जिले में एक हिंदू महिला के साथ उसके ही पड़ोसी ने कथित रूप से बलात्कार किया। महिला ने बताया कि आरोपी फ़जोर अली उसके घर में जबरन घुस आया और उसका यौन उत्पीड़न किया। इस घटना का वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में चार अन्य को भी गिरफ्तार किया गया।

मानवाधिकार संगठन ‘ऐन ओ सालिश केंद्र’ (ASK) के अनुसार, जनवरी 2020 से सितंबर 2024 तक देश में औसतन हर 9 घंटे में एक बलात्कार की घटना हुई। इसी अवधि में कुल 4,787 बलात्कार मामले दर्ज किए गए, जिनमें 2,862 पीड़ित 18 वर्ष से कम आयु की थीं। इनमें से 47% पीड़ित 13 से 18 वर्ष की उम्र के बीच थीं।

वरिष्ठ अधिवक्ता ज़ेडआई खान पन्ना ने कहा, “हमें जो आंकड़े मिलते हैं वो मीडिया रिपोर्ट पर आधारित हैं, लेकिन असली संख्या कहीं अधिक हो सकती है। बहुत सी महिलाएं मामला दर्ज नहीं करातीं क्योंकि उन्हें सिस्टम पर भरोसा नहीं है।”

बैरिस्टर ज्योतिर्मय बरुआ के अनुसार, “बलात्कार मामलों में सुनवाई अक्सर 180 दिन की समय-सीमा से आगे खिंच जाती है और सज़ा मिलना दुर्लभ होता है। जब पीड़ित को यह विश्वास ही नहीं होता कि उसे न्याय मिलेगा, तो वो रिपोर्ट क्यों करेगी?”

4,787 बलात्कार मामलों में से केवल 3,419 में ही पुलिस केस दर्ज हुए। यह दर्शाता है कि न्याय प्रणाली में लोगों का भरोसा बेहद कमजोर हो गया है। सोशल वेलफेयर और महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की सलाहकार शर्मीन एस मुरशिद ने बताया कि पिछले 10–11 महीनों में सरकारी टोल-फ्री हेल्पलाइन पर 2.81 लाख शिकायतें आई हैं।

उन्होंने बताया कि अब हर उपजिला स्तर पर त्वरित कार्रवाई दल बनाए जा रहे हैं जो स्थानीय प्रशासन के नेतृत्व में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर रोक लगाने का प्रयास करेंगे।

मुरशिद ने यह भी स्वीकार किया कि आज के बच्चे भी हिंसा के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “10 साल के बच्चे ने 2.5 साल की बच्ची का यौन उत्पीड़न किया। यह सोच भी डरावनी है कि बच्चा यह भी नहीं समझ पाया कि उसने क्या किया।” उन्होंने अश्लील सामग्री की आसान पहुंच, सोशल मीडिया, और नशाखोरी को इस सामाजिक पतन का मुख्य कारण बताया। साथ ही उन्होंने मदरसों की निगरानी और वहां होने वाले यौन अपराधों की जांच पर भी बल दिया।

बांग्लादेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराध केवल एक कानून व्यवस्था की समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक आपातकाल बन चुके हैं। सरकारी प्रयास शुरू जरूर हुए हैं, लेकिन जब तक राजनीतिक इच्छाशक्ति, पुलिस सुधार, न्याय प्रक्रिया में तेजी और सामाजिक जागरूकता का संगठित रूप से संचालन नहीं होगा, तब तक इस ‘बलात्कार महामारी’ से निजात मिलना मुश्किल है।

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