अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूक्रेन को सैन्य हथियारों की आपूर्ति पर रोक लगाए जाने के कुछ ही दिनों बाद, रूस ने यूक्रेन पर 550 मिसाइलों और ड्रोन के साथ अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया। कीव के आसमान में रातभर आग के गोले और धुएं के बादल देखे गए जब रूसी मिसाइलों ने शहर को निशाना बनाया।
यह हमला ऐसे समय हुआ जब ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। ट्रंप ने खुद स्वीकार किया कि इस बातचीत में युद्ध खत्म करने को लेकर “कोई प्रगति नहीं” हुई। लेकिन हमले के तुरंत बाद यह साफ हो गया कि पुतिन ने ट्रंप के इस कदम को ‘हरकत की छूट’ के रूप में लिया।
बीते महीनों में यह पैटर्न बार-बार दोहराया गया है— ट्रंप पहले से स्वीकृत हथियार आपूर्ति पर रोक लगाते हैं, यूक्रेन को कमजोर बताते हैं, और इसके कुछ ही घंटों में रूस बड़ा हमला करता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। क्रेमलिन की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि “रूस पीछे नहीं हटेगा जब तक कि ‘मूल कारणों’ को खत्म नहीं किया जाता।”
यह ‘मूल कारण’ असल में पुतिन की अधिकतम मांगों का संकेत हैं— जैसे रूस द्वारा कब्जे में लिए गए यूक्रेनी क्षेत्रों को मान्यता देना, राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की और उनकी सरकार को हटाना, यूक्रेन के संविधान में बदलाव करना, नाटो सदस्यता को स्थायी रूप से नकारना और विदेशी सैन्य साझेदारियों पर रोक लगाना। इन मांगों को मानना यूक्रेन की संप्रभुता की समाप्ति जैसा होगा।
यूक्रेन महीनों से अमेरिका से एयर डिफेंस सिस्टम और आधुनिक हथियारों की मांग कर रहा था। लेकिन इस हफ्ते ट्रंप प्रशासन ने न केवल नई आपूर्ति को रोका, बल्कि पहले से मंज़ूर सौदों पर भी रोक लगा दी। ट्रंप ने बयान दिया, “हमने पहले ही बहुत हथियार दे दिए हैं।”
इसका फायदा उठाते हुए रूस ने रातोंरात 539 ड्रोन और 11 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। यह युद्ध के अब तक के सबसे बड़े हमलों में से एक माना जा रहा है।
इस साल की शुरुआत में जब ट्रंप ने व्हाइट हाउस में ज़ेलेंस्की को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करते हुए सैन्य और खुफिया सहयोग को निलंबित किया था, रूस ने उसी समय कुर्स्क क्षेत्र में आक्रामक जवाबी हमला शुरू कर दिया था। यूक्रेन द्वारा कुर्स्क पर नियंत्रण पाना एक बड़ी रणनीतिक जीत मानी जा रही थी जिसे अब रूस ने वापस ले लिया है।
ट्रंप की यूक्रेन नीति ने एक बार फिर रूस को युद्ध में बढ़त दिलाने का अवसर दे दिया है। जिस तरह से अमेरिकी समर्थन में कटौती हो रही है, उससे यूक्रेन की रक्षा क्षमता कमजोर हो रही है और पुतिन का हौसला बढ़ रहा है। युद्ध के इस मोड़ पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका की नीति अब रूस के पक्ष में झुक रही है — और इसका असर केवल यूक्रेन ही नहीं, पूरी वैश्विक स्थिरता पर पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें:
27% ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी!
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की खारिज !
राहुल गांधी की फोटो वाले सैनेटरी पैड बांटने पर कांग्रेस घिरी विवादों में!
