नई दिल्ली। डॉक्टरों ने म्यूकोर्मिकोसिस से संक्रमित मरीजों के 101 मामलों का अध्ययन किया है।अध्ययन में सामने आया है कि इन मरीजों में 79 पुरुष थे। वहीं डायबिटीज को इससे संक्रमित होने महत्वपूर्ण कारण बताया गया है। जिसमें 101 में से 83 लोग डायबिटीज से पीड़ित थे।
इस अध्ययन को एल्सेवियर जर्नल में प्रकाशित किया जायेगा। कोलकाता में जीडी अस्पताल और डायबिटीज संस्थान से डॉ. अवधेश कुमार सिंह और डॉ. रितु सिंह, मुंबई में लीलावती अस्पताल से डॉ. शशांक जोशी और नई दिल्ली में राष्ट्रीय डायबिटीज, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन से डॉ. अनूप मिश्रा ने मिलकर 101 रोगियों का अध्ययन किया, जिसमें 82 भारत से थे, 9 अमेरिका से और तीन ईरान के थे।
अध्ययन में यह सामने आया है कि 101 मरीजों में से 31 लोगों की मौत इसी बीमारी से हुई है।वहीं, 101 व्यक्तियों में से 60 कोरोना से संक्रमित थे, जबकि 41 लोग ठीक हो गए। साथ ही, 101 में से 83 लोगों को डायबिटीज था, वहीं तीन को कैंसर था।
शशांक जोशी ने बताया कहा कि उन्होंने अध्ययन किया कि कोरोना के लिए म्यूकोर्मिकोसिस के रोगियों का क्या उपचार किया गया। कुल 76 रोगियों में एक इम्यूनोसप्रेसेन्ट के रूप में उपयोग किए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इतिहास था। 21 को रेमेडिसिविर और चार टोसिलिजुमैब दिए किए गए थे।
एक मामले में, डायबिटीज से पीड़ित मुंबई के एक 60 वर्षीय व्यक्ति को स्टेरॉयड और टोसिलिजुमैब दोनों दिए गए। फंगल इंफेक्शन के कारण उनकी मौत हो गई। लेकिन मुंबई में एक 38 वर्षीय व्यक्ति बिना डायबिटीज के बच गया। अध्ययन में यह सामने आया है कि डायबिटीज और कोरोना संक्रमित से रोगियों की मौत ज्यादा हुई है, इतना ही नहीं ऐसे मरीज अधिक गंभीर भी पाए गए।
इसके अलावा अध्ययन में यह भी देखा गया कि कम ऑक्सीजन (हाइपोक्सिया), उच्च ग्लूकोज, अम्लीय माध्यम और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स के उपयोग के कारण सफेद रक्त कोशिकाओं की गतिविधि में कमी के आदर्श वातावरण में कोविड -19 वाले लोगों में फगस म्यूकोरालेस बीजाणु फैल रहे हैं। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि भारत में डायबिटीज के ज्यादा मरीज होने यहां यह ज्यादा है।
बता दें कि इस फंगस से महाराष्ट्र में 90 लोगों की जान जा चुकी है।वहीं, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वे इस बीमारी महामारी घोषित करें।