भारत ने अपने रक्षा निर्यात के इतिहास में एक और अध्याय जोड़ते हुए फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम के बैटरी की दूसरी खेप भेज दी है। यह डिलीवरी भारत और फिलीपींस के बीच हुए रक्षा समझौते के तहत की गई है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग और रणनीतिक साझेदारी की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। चीन पर तलवार रोककर रखने के लिए फिलीपींस को ब्रम्होस देना महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम है।
यह दूसरा बैच, अप्रैल 2024 में भेजी गई पहली खेप के बाद आया है, जो भारतीय वायुसेना के एक विशेष विमान के जरिए, नागरिक उड्डयन एजेंसियों की मदद से फिलीपींस पहुंचाई गई थी। ताज़ा खेप भी लगभग छह घंटे की लंबी, बिना रुके उड़ान के जरिए फिलीपींस के पश्चिमी हिस्से में पहुंचाई गई, जिसमें हेवी लोड के साथ यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम, जिसकी रेंज 290 किलोमीटर और गति 2.8 मैक (यानी आवाज की गति से लगभग तीन गुना) है, दुनिया के सबसे घातक और तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में गिनी जाती है। इसे जमीन, समुद्र, वायु और सबमरीन—किसी भी माध्यम से लॉन्च किया जा सकता है। फिलीपींस को तीन बैटरियों की आपूर्ति की जानी है, जिससे उसके सामरिक कौशल में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में भारत के रक्षा उत्पादन के आंकड़े साझा करते हुए कहा—”इस वर्ष रक्षा उत्पादन के 1.60 लाख करोड़ रुपए को पार करने की उम्मीद है, जबकि हमारा लक्ष्य वर्ष 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण बनाना है।” यह लक्ष्य न केवल रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक स्पष्ट रोडमैप दर्शाता है, बल्कि भारत को एक वैश्विक डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी निर्णायक है।
2014 में जहां देश का रक्षा उत्पादन 40,000 करोड़ रुपये के आसपास था, आज वह आंकड़ा 1.27 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने इसमें अहम भूमिका निभाई है, जो न केवल घरेलू आवश्यकताओं को पूरा कर रही है बल्कि वैश्विक डिफेंस सप्लाई चेन को मजबूती देने में भी सहायक बन रही है।
भारत की तकनीकी महारत—चाहे वह ब्रह्मोस मिसाइल हो, आईएनएस विक्रांत जैसा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, या फिर आईएनएस अरिहंत जैसी न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन—आज विकसित देशों के समकक्ष खड़ा है। यह केवल सैन्य क्षमताओं की बात नहीं, बल्कि रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक भरोसे का प्रमाण है।
फिलीपींस को ब्रह्मोस की आपूर्ति न सिर्फ भारत की कूटनीतिक और तकनीकी शक्ति का प्रतीक है, बल्कि इस बात का भी संकेत है कि दक्षिण एशिया और प्रशांत क्षेत्र में भारत एक जिम्मेदार, मजबूत और भरोसेमंद रक्षा साझेदार के रूप में उभर रहा है। साथ ही चीन के खतरें को भांपकर रणनीति भी बनाई जा रही है।
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