आर जी कर अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के बाद अस्पताल की मैनेजमेंट में संदीप घोष द्वारा धांधलियों का पिटारा भी खुला था। इसी मामले में प्रिंसिपल संदीप घोष पर मेडिकल स्टूडेंट्स से पैसे लेने, देह व्यापार करने के आरोप करते हुए गिरफ्तार भी किया गया। पश्चिम बंगाल में एक तरफ प्रदर्शन थमने के नाम नहीं ले रहे। वहीं पश्चिम बंगाल के सिलिगुरी स्थित अस्पताल में प्रिंसिपल को धांधली के कारण स्टूडेंट्स, मेडिकल स्टाफ, और इंटर्न ने घेराव किया है।
दरसल बुधवार (4 सितंबर) के दिन सिलिगुरी के नार्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के छात्रों, मेडिकल स्टाफ और इंटर्न ने एकसाथ आकर प्रिंसिपल डॉ. इंद्रजीत साहा का घेराव कर लिया था। स्टूडेंट्स का प्रिंसिपल पर आरोप है की वो मेडिकल छात्रों की मार्कशीट्स के साथ छेड़छाड़ करते हैं, साथ ही टीएमसी के छात्र संगठन से जुड़े छात्रों और सरकार के धमकी की राजनीती चला रहें है।
मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी अजमद अतीक ने घेराव और हंगामे दौरान डिजिटल मीडिया एजेंसी ANI को बताया की, पश्चिम बंगाल की रुलिंग पार्टी टीएमसी कुछ छात्रों को मार्क्स फेवर करती है, उन्हे एक्स्ट्रा मार्क्स देते है। एक विद्यार्थी को सर्जरी मिले 37 मार्क्स को बदलकर 93 किया गया था। अजमद का आरोप है की प्रिंसिपल इंद्रजीत साहा टीएमसी पार्टी के मेंबर्स को फेवर करते है और जो पार्टी से जुड़े नहीं है उन्हें डराया जाता है। उन्हें एग्जाम में फेल करवाने की धमकी दी जाती है। फेस्ट के लिए 5- 6 हजार तक पैसे मांगते है, नहीं देने पर एग्जाम को लेकर डराया धमकाया जाता है।
#WATCH | Siliguri, West Bengal: Students, interns, junior doctors, and doctors of North Bengal Medical College and Hospital gherao principal Dr Indrajit Saha for allegedly tampering with mark sheets and the alleged threat culture prevalent because of student body leaders and the… pic.twitter.com/LEX348S1TU
— ANI (@ANI) September 4, 2024
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विद्यार्थियों ने TMC की यूनिट को डिसॉल्व करने और असिस्टेंट समेत डीन को इस्तीफा दिलवाने की मांग की है। वहीं प्रिंसिपल इंद्रजीत साहा ने आरोपों को नकारते हुए कहा है, की उन्हें किसी भी सत्तारूढ़ पार्टी के नेता के शामिल होने की जानकारी नहीं है। कॉलेज में आने वाले एकमात्र सत्तारूढ़ पार्टी के नेता हमारे मेयर गौतम देब हैं और वे कभी भी किसी परीक्षा प्रक्रिया में शामिल नहीं होते हैं। इंद्रजीत साहा ने कहा, “झे इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि प्रोटोकॉल के अनुसार परीक्षा के संयोजक की तरफ से अंक पत्र तैयार किए जाते हैं और छह परीक्षकों में से सबसे वरिष्ठ की तरफ से मानकीकृत फॉर्म सी भी भरा जाता है। अंकों को अंतिम रूप देने की दोहरी जांच होती है- इसे पोर्टल पर अपलोड किया जाता है और साथ ही, परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या के आधार पर 6-7 पृष्ठों की हस्ताक्षरित प्रति को स्कैन किया जाता है। और विश्वविद्यालय पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। इसलिए मुझे पूछताछ करने दीजिए।” इंद्रजीत साहा ने बताया है की उन्होंने छात्रों की शिकायतों के बारे में अपने उच्च अधिकारियों को पहले ही एक पत्र तैयार कर लिया है।