सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़े राष्ट्रविरोधी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जिसमें तीन नाम प्रमुख रूप से सामने आए हैं – छांगुर, नीतू उर्फ नसरीन और नवीन उर्फ जलालुद्दीन। यह मामला केवल अवैध धर्मांतरण का नहीं, बल्कि देश की एकता, सामाजिक समरसता और सुरक्षा को गहरी चोट पहुंचाने की सोची-समझी साजिश है, जो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संपर्क साधने तक जा पहुंची थी।
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, छांगुर, नीतू और नवीन ‘मिशन आबाद’ के तहत आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू परिवारों को निशाना बनाकर उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित कर रहे थे। लेकिन इनकी साजिश सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं थी। ये तीनों ISI के नेटवर्क से जुड़कर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बना रहे थे।
छांगुर हाल ही में नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंचा था, जहां उसने पाकिस्तानी दूतावास से संपर्क की कोशिश की। उसी दौरान वहां एक कार्यक्रम में पाकिस्तान की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (NDU) और ISI के अधिकारी मौजूद थे। छांगुर, नेपाल के दांग ज़िले के एक कट्टरपंथी धर्मगुरु के जरिये पाकिस्तानी एजेंसियों से नजदीकियां बढ़ाना चाहता था, लेकिन सुरक्षा कारणों से वह दूतावास में प्रवेश नहीं कर पाया।
छांगुर की योजना थी कि भारत में धर्मांतरण कर मुस्लिम बनीं युवतियों का निकाह नेपाल में मौजूद ISI एजेंटों या स्लीपर सेल से कराए जाएं। इससे न सिर्फ सीमावर्ती इलाकों में उनकी पैठ मजबूत होती, बल्कि भारत में जासूसी और अस्थिरता फैलाने का रास्ता भी आसान हो जाता। इसके लिए छांगुर सिद्धार्थनगर के बढ़नी कस्बे में ठिकाना तलाश रहा था।
जब सुरक्षा एजेंसियों ने जांच का दायरा बढ़ाया तो इस साजिश के तार महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल और यूपी के कई जिलों (आजमगढ़, अयोध्या, गोरखपुर, श्रावस्ती आदि) से जुड़ते चले गए। नवीन इस पूरी योजना में लॉजिस्टिक सपोर्ट और निकाह की व्यवस्थाओं को अंजाम दे रहा था।नीतू उर्फ नसरीन छांगुर की राजदार और धर्मांतरण कराने वाली मुख्य महिला एजेंट थी।
सुरक्षा एजेंसियों ने यह भी खुलासा किया कि ये लोग रोहिंग्या शरणार्थियों को हिंदू बताकर अवैध रूप से धर्मांतरण कराना चाहते थे। इसका उद्देश्य था उन्हें भारत की आबादी में मिलाकर उनका उपयोग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में करना।
पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह के अनुसार, उतरौला नेपाल सीमा से सिर्फ 65 किमी दूर है और श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर, सिद्धार्थनगर जैसे संवेदनशील ट्रांजिट रूट्स के केंद्र में स्थित है। यहां से न सिर्फ नेपाल, बल्कि बंगाल तक की सीधी पहुंच है, जिससे यह स्थान विदेशी खुफिया एजेंसियों की रणनीति के अनुरूप एक ‘स्लीपर बेस’ बन सकता था।
समय रहते सुरक्षा एजेंसियों ने छांगुर, नीतू और नवीन को दबोच लिया, जिससे देश एक बड़ी साजिश का शिकार होने से बच गया। अब इनसे गहन पूछताछ हो रही है और पूरे नेटवर्क की जड़ें तलाशने का काम जारी है।
यह मामला केवल धर्मांतरण का नहीं, एक बहुस्तरीय राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र का है जिसमें विदेशी एजेंसियों से गठजोड़ कर देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने की कोशिश की जा रही थी। सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से यह साजिश विफल हुई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस तरह के नेटवर्क को जड़ से उखाड़ने के लिए व्यापक रणनीति और कड़ी निगरानी की जरूरत है।
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