भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में बाढ़ लोगों के लिए काल बन गया है। इस काल के अंदर ना जाने कितना कुछ तबाह हो गया। तबाही की वजह से घर, सड़कें, स्कूल और अस्पताल सब नष्ट हो चुके हैं। पाकिस्तानी मुल्क के लगभग तीन करोड़ लोग बाढ़ की बलि चढ़ गए। हालांकि इसी बीच अब सबसे बड़ा खतरा भुखमरी का मंडरा रहा है। इस बाढ़ की वजह से गेहूं की ज्यादातर फसल बर्बाद हो चुकी है। वहाँ के किसानों के पास न तो बीज है और नहीं खाद जिससे नई फसल उगाया जा सके। यदि बीज और खाद मिल भी जाएं तो लोगों के पास इसे खरीदने का पैसा नहीं है। इनके पालतू जानवर भी बाढ़ में बहकर मारे जा चुके हैं।
पाकिस्तान में बाढ़ की चपेट में आने से करीब डेढ़ हजार लोग मारे गए। आम जन करीब दो महीने तक भारी बारिश से जूझते रहे। इस बाढ़ ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया हैं, यहाँ के लोग इतने बेबस हो गए है कि इनके पास न भोजन है और न सिर छिपाने के लिए छत। हालांकि बाहरी देशों से जो टैंट्स की मदद मिली हैं, उनमें ये परिवार रह रहे हैं। मौसम विभाग का अनुमान है कि आने वाले हफ्तों में पुनः भारी बारिश हो सकती है। अगर यह बात सच साबित होती है तो पाकिस्तान की हालात बद से बदतर हो जाएगी।
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने कुछ दिनों पहले कहा था कि बढ़ की वजह से 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। हालांकि रिपोर्ट्स कहती हैं कि अभी तक नुकसान का सही आंकड़ा तय ही नहीं किया जा सकता, क्योंकि कई हिस्से अब भी पानी में डूबे हैं। बता दें कि पाकिस्तान की स्थिति काफी खराब प्रतीत हो रही है, क्योंकि वो दिवालिया होने की कगार पर था। हालांकि आईएमएफ (अंतर राष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने बमुश्किल डेढ़ अरब डॉलर का कर्ज दिया है। यहाँ महंगाई दर 18% पार कर चुकी है।
पाकिस्तान में गेहूं, कपास और चावल की खेती अच्छी होती है। लेकिन बाढ़ की वजह से यह फसलें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं। इस नुकसान की वजह से कपास का आधा उत्पादन भी नहीं हो सकता। गेहूं और चावल की फसलें तबाह होने से यहाँ भुखमरी का खतरा पैदा हो गया है। पाकिस्तान पहले ही इन चीजों को निर्यात कर रहा था, अब कंगाली में पाकिस्तान क्या करेगा यह देखना होगा।
यूएन ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद दी जिसके बाद एक करोड़ 60 लाख डॉलर की मदद से 52 लाख लोगों तक भोजन पहुंचाने की कोशिश हुई है। समस्या से जूझ रही आम जनता का सड़कों पर भुखमरी और महंगाई को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुका हैं। बाढ़ की वजह से पाकिस्तान का सिंध प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। बता दें कि पिछले 30 सालों में यहाँ सबसे ज्यादा बारिश हुई है।
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