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Saturday, November 15, 2025
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डार्क चॉकलेट और बेरीज याददाश्त बढ़ाने और तनाव कम करने में मददगार: स्टडी!

रिसर्चर्स ने 10 हफ्ते के चूहों पर प्रयोग किए, उन्हें 25 एमजी/केजी या 50 एमजी/केजी बॉडी वेट की डोज में फ्लेवनॉल्स मुंह से दिए, जबकि कंट्रोल चूहों को सिर्फ डिस्टिल्ड वॉटर दिया गया।

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क्या आप कमजोर याददाश्त और तनाव की समस्या से जूझ रहे हैं? तो एक एनिमल स्टडी आपके लिए राहत का सबब बन सकती है। जो कहती है कि डार्क चॉकलेट का एक टुकड़ा या मुट्ठी भर बेरीज आपकी याददाश्त को बेहतर बनाने और स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकते हैं।

जापान के शिबाउरा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की टीम ने कहा कि बेहतर याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता फ्लेवनॉल्स की वजह से हो सकती है, जो कोको और बेरीज में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

करंट रिसर्च इन फूड साइंस जर्नल में पब्लिश इस स्टडी में दिखाया गया कि फ्लेवनॉल लेने से कई तरह के फिजियोलॉजिकल रिस्पॉन्स (जैसे हृदय गति या बीपी का बढ़ना ) ट्रिगर हो सकते हैं, जो व्यायाम के बाद होने वाले बदलाव जैसे होते हैं|

यह एक हल्के स्ट्रेसर (तनाव बढ़ाने वाले कारक) के रूप में काम करता है जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) को सक्रिय करता है और ध्यान, उत्तेजना और याददाश्त बढ़ाता है। फ्लेवनॉल्स न्यूरॉनल डैमेज से भी बचाते हैं।

शिबाउरा इंस्टीट्यूट के डॉ. यासुयुकी फुजी ने कहा, “इस अध्ययन में फ्लेवनॉल्स से होने वाले स्ट्रेस रिस्पॉन्स कसरत से होने वाले रिस्पॉन्स के समान ही हैं। इसलिए, फ्लेवनॉल्स की कमी, उनकी कम जैवउपलब्धता के बावजूद, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।”

इस स्टडी में, टीम ने जांच की कि फ्लेवनॉल्स सेंसरी स्टिमुलेशन के जरिए तंत्रिका तंत्र को कैसे प्रभावित करते हैं। उन्होंने परिकल्पना के आधार पर फ्लेवनॉल्स के कसैले स्वाद (मुंह में सूखापन, सिकुड़न, खुरदरेपन, या सैंडपेपर जैसे एहसास) सीधे दिमाग को कैसे सिग्नल दे सकते हैं इसका परीक्षण किया।

रिसर्चर्स ने 10 हफ्ते के चूहों पर प्रयोग किए, उन्हें 25 एमजी/केजी या 50 एमजी/केजी बॉडी वेट की डोज में फ्लेवनॉल्स मुंह से दिए, जबकि कंट्रोल चूहों को सिर्फ डिस्टिल्ड वॉटर दिया गया।

बिहेवियरल टेस्ट (व्यवहार में आये बदलाव को लेकर किया गया परीक्षण) से पता चला कि फ्लेवनॉल खिलाए गए चूहों में कंट्रोल्ड चूहों की तुलना में ज्यादा मोटर एक्टिविटी (दिमाग से संचालित शरीर की स्वैच्छिक गतिविधियां), नई खोज की ललक, और बेहतर सीखने और याद रखने की क्षमता दिखी।

फ्लेवनॉल्स ने दिमाग के कई हिस्सों में न्यूरोट्रांसमीटर एक्टिविटी को बढ़ाया। दवा देने के तुरंत बाद दिमाग में डोपामाइन और लेवोडोपा, नॉरपेनेफ्रिन, और उसका मेटाबोलाइट नॉरमेटेनेफ्रिन का लेवल बढ़ गया था।

ये रसायन प्रेरित करने, ध्यान लगाने, तनाव और उत्तेजना को नियंत्रित करते हैं।

इसके अलावा, नॉरएड्रेनालाईन सिंथेसिस (टायरोसिन हाइड्रॉक्सिलेज और डोपामाइन-बीटा-हाइड्रॉक्सिलेज) और ट्रांसपोर्ट (वेसिकुलर मोनोमाइन ट्रांसपोर्टर 2) के लिए आवश्यक एंजाइम अपग्रेड किए गए थे, जिससे नॉरएड्रेनर्जिक सिस्टम (एक तंत्रिका तंत्र है जो नॉरपेनेफ्रिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर का उपयोग करता है) की सिग्नलिंग क्षमता मजबूत हुई।

इसके अलावा, जैव रासायनिक विश्लेषण से पता चला कि यूरिन में कैटेकोलामाइन (स्ट्रेस के दौरान रिलीज होने वाले हार्मोन) का लेवल ज्यादा था, साथ ही हाइपोथैलेमिक पैरावेंट्रिकुलर न्यूक्लियस (पीवीएन) की सक्रियता भी बढ़ी थी जो तनाव नियंत्रित करने वाला दिमाग का एक मुख्य हिस्सा है।

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