तान्ज़ानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन ने भारी बहुमत से दूसरा कार्यकाल जीत लिया है। देश के चुनाव आयोग ने शनिवार(1 नवंबर) को घोषणा की कि हसन को 98 प्रतिशत वोट मिले, जिससे उन्होंने लगभग 3.2 करोड़ मतों में निर्णायक बढ़त हासिल की। हालांकि, चुनावों के दौरान भड़की व्यापक हिंसा और पारदर्शिता को लेकर उठे सवालों ने इस जीत पर विवाद की छाया डाल दी है।
तान्ज़ानिया के चुनाव आयुक्त जैकब्स म्वामबेगले ने कहा, “मैं चामा चा मपिंदुज़ी (CCM) पार्टी की उम्मीदवार सामिया सुलुहू हसन को राष्ट्रपति चुनाव की विजेता घोषित करता हूं।”
लेकिन इस बीच, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने चुनाव प्रक्रिया और परिणामों पर गंभीर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि उसे दार एस सलाम, शिन्यानगा और मोरोगोरो जैसे शहरों से हिंसा और मौतों की विश्वसनीय रिपोर्टें मिली हैं, जहां सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।
यूएन के प्रवक्ता सेइफ मागांगा ने जिनेवा में कहा, “हम तान्ज़ानिया में जारी चुनाव-संबंधी प्रदर्शनों के दौरान हुई मौतों और चोटों से बेहद चिंतित हैं। सुरक्षा बलों को चाहिए कि वे अनावश्यक या अत्यधिक बल प्रयोग से बचें, और तनाव कम करने के लिए हर संभव प्रयास करें। प्रदर्शनकारियों को भी शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना चाहिए।”
मुख्य विपक्षी दल चादेमा (CHADEMA) ने फ्रांसीसी समाचार एजेंसी को बताया कि केवल तीन दिनों में करीब 700 लोग मारे गए हैं। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार ने जनता की असहमति को दबाने के लिए दमनकारी उपायों का सहारा लिया। वहीं, स्थानीय मीडिया और मानवाधिकार समूहों ने बताया कि पुलिस ने कई शहरों में कर्फ्यू जैसी स्थिति बना दी है, और सैकड़ों लोगों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र ने तान्ज़ानिया सरकार से हिंसा की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उसने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को अनुमति दी जानी चाहिए ताकि चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्ष समीक्षा की जा सके।
चुनावों से पहले और बाद में हुई झड़पों ने तान्ज़ानिया की लोकतांत्रिक छवि को गहरा झटका दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि हसन की भारी जीत, जो पहली नज़र में जनसमर्थन दर्शाती है, अब वैधता और लोकतांत्रिक पारदर्शिता के सवालों से घिरी हुई है।
तान्ज़ानिया की राष्ट्रपति के रूप में सामिया सुलुहू हसन, जो 2021 में जॉन मगोफुली की मृत्यु के बाद देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं, अब अपने दूसरे कार्यकाल में राजनीतिक स्थिरता बहाल करने और मानवाधिकारों की रक्षा करने की चुनौती का सामना करेंगी।
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