नई दिल्ली। जेएनयू फॉर वुमेन स्टडीज और वेबिनार में ‘भारतीय कब्जे वाला कश्मीर ‘लिखे जाने पर दिल्ली के एक वकील ने आपत्ति जताई है और इस कार्यक्रम के आयोजकों पर केस दर्ज कराया है। हालांकि, कार्यक्रम के दौरान इसकी जानकारी मिलने पर विश्वविद्यालय ने इस कार्यक्रम को रद्द करावा दिया गया। इस कार्यक्रम को लेकर जेएनयू अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) इकाई ने विरोध जताया है।
A Delhi based lawyer has filed a police complaint against JNU's Centre for Women Studies and organisers of the webinar for allegedly using phrase 'gendered resistance to Indian occupation in Kashmir' in the notice for the webinar
— ANI (@ANI) October 30, 2021
क्या है मामला: इस कार्यक्रम को लेकर जेएनयू के कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने कहा कि ‘जेंडर रेजिस्टेंस एंड ट्रस्ट चैलेंजिस इन पोस्ट 2019 कश्मीर’ शीर्षक से एक वेबिनार सेंटर फॉर वुमन स्टडीज के द्वारा रात 8:30 बजे आयोजित किया जा रहा था। इस कार्यक्रम के बारे में जैसे ही जानकारी मिली तत्काल आयोजकों को कार्यक्रम रद्द करने का निर्देश दे दिया गया। जेएनयू के सेंटर फॉर वुमन स्टडी विभाग द्वारा आयोजन जेएनयू के सेंटर फॉर वुमन स्टडी विभाग द्वारा आयोजन उन्होंने कहा कि शिक्षक ने इस प्रकार के कार्यक्रम को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति नहीं ली थी।वेबिनार में लेखक, कवि और कार्यकर्ता अतहर जिया को मुख्य वक्ता के तौर पर बोलना था। वेबिनार के नोटिस में कहा गया था कि यह कार्यक्रम कश्मीर में भारतीय कब्जे के बारे में ध्यानाकर्षण और उसके खिलाफ महिला प्रतिरोध की रूपरेखा तैयार करेगा। यह बेहद आपत्तिजनक और भड़काऊ विषय था। ये विषय हमारे देश की संप्रुभता और अखंडता पर सवाल खड़ा करता है।
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग: यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन के बिना अनुमति के ही आयोजित किया जा रहा था। साथ ही कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जेएनयू में भारत के खिलाफ किसी भी कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच की जा रही है।