ईडी ने यह जांच हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। शिकायत एक अमेरिकी नागरिक ने दर्ज कराई थी।
जांच से पता चला है कि विक्रमजीत सिंह और आंचल मित्तल ने अन्य लोगों के साथ मिलकर एक धोखाधड़ी वाला कॉल सेंटर स्थापित किया था, जिसमें वे बैंक ऑफ अमेरिका के कर्मचारी बनकर काम करते थे। उन्होंने एक अमेरिकी नागरिक के कंप्यूटर तक अवैध पहुंच हासिल की और 11.54 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की।
जांच में यह भी सामने आया कि धोखाधड़ी से प्राप्त रकम का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी खरीदने में किया गया, जिसे बाद में बेचा गया और बैंक खातों के माध्यम से धोखा देने वालों के रिश्तेदारों और अन्य संस्थाओं के माध्यम से लॉन्ड्रिंग की गई। इसके अलावा, कुछ रकम का इस्तेमाल अचल संपत्ति खरीदने में भी किया गया।
ईडी ने यह भी पता लगाया कि मुख्य आरोपी विक्रमजीत सिंह ने अपराध से प्राप्त पैसे का उपयोग अपने परिवार के नाम पर अचल संपत्ति खरीदने, विभिन्न व्यक्तियों को ऋण देने और बिल्डरों को अग्रिम भुगतान करने में किया।
ईडी ने पहले 29 जुलाई, 2025 को विक्रमजीत सिंह और उसके साथियों के निवास स्थान पर छापे मारे थे। इस दौरान कई दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए और संदेहियों के विभिन्न बैंक खातों में रखे 43.58 लाख रुपए फ्रीज किए गए। आगे की जांच जारी है।



