भारत सरकार ने म्यांमार-थाईलैंड सीमा के म्यावाड्डी क्षेत्र में साइबर ठगी के जाल में फंसे चार भारतीय नागरिकों की सकुशल वापसी सुनिश्चित कर ली है। यांगून स्थित भारतीय दूतावास ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। इन चारों को म्यांमार के अधिकारियों ने हाल ही में रिहा किया था, जिसके बाद उन्हें ह्पा-आन से यांगून लाया गया और स्वदेश वापसी की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया।
दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए बताया, “हमने म्यांमार प्राधिकारियों से समन्वय करके इन चारों भारतीय नागरिकों को म्यावाड्डी परिसर से एग्जिट परमिट दिलाया और यांगून के रास्ते भारत वापसी की व्यवस्था की।”
दूतावास ने साथ ही आगाह भी किया कि म्यांमार या थाईलैंड के सीमा क्षेत्रों में इमिग्रेशन प्रक्रिया के बगैर प्रवेश या नौकरी के झांसे में आना न केवल अवैध है, बल्कि इससे भविष्य में इन देशों में प्रवेश भी प्रतिबंधित हो सकता है।
गौरतलब है कि यह घटना कोई एकल मामला नहीं है। पिछले सप्ताह ही म्यांमार-थाईलैंड सीमा से 32 भारतीय नागरिकों को वापस भारत भेजा गया था, जो सभी म्यावाड्डी क्षेत्र में चल रहे एक बड़े साइबर घोटाले के शिकार थे। इन नागरिकों को फर्जी नौकरियों का झांसा देकर म्यांमार बुलाया गया था, जहां उन्हें अवैध साइबर गतिविधियों और ठगी में जबरन शामिल किया गया।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार लगातार इस तरह के रैकेट्स में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने के प्रयास में जुटी है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि घोटालेबाजों द्वारा फर्जी नौकरी के नाम पर लोगों को म्यांमार-थाईलैंड बॉर्डर के पास स्थित साइबर अपराध केंद्रों में ले जाकर जबरन गैरकानूनी कार्यों में शामिल किया जाता है।
मार्च में भी म्यांमार और थाईलैंड स्थित भारतीय दूतावासों ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से 283 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी कराई थी, जिन्हें थाईलैंड के माई सोत क्षेत्र से भारतीय वायुसेना के विमान के जरिए भारत लाया गया था।
सरकार ने एक बार फिर दोहराया है कि विदेश में नौकरी के प्रस्तावों को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। विदेश मंत्रालय ने सभी भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी विदेशी नौकरी को स्वीकार करने से पहले संबंधित दूतावास या मिशन से उस प्रस्ताव की वैधता की पुष्टि कर लें और भर्ती एजेंटों व कंपनियों की पृष्ठभूमि का अच्छे से जांच-पड़ताल करें। यह एक ज़रूरी कदम है जिससे वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय जालसाजी या घोटाले का शिकार होने से बच सकते हैं।
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