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Tuesday, July 15, 2025
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फॉक्सकॉन की भारत में बड़े निवेश की तैयारी, सप्लाई चेन का करेगी विस्तार!

फॉक्सकॉन को मंजूरी ऐसे समय पर मिली है, जब वह चीन से बाहर अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का तेजी से विस्तार कर रहा है।  

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ताइवानी दिग्गज कंपनी होन हाई प्रेसिजन इंडस्ट्री कंपनी लिमिटेड (फॉक्सकॉन) को ताइवान की सरकार से भारत और अमेरिका में 2.2 अरब डॉलर की राशि निवेश करने की मंजूरी मिल गई| फॉक्सकॉन को मंजूरी ऐसे समय पर मिली है, जब वह चीन से बाहर अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का तेजी से विस्तार कर रहा है।

भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और पीएलआई जैसी पहल बड़ी संख्या में विदेशी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को आकर्षित करने में सफल रही हैं और इससे देश में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी है और रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। फॉक्सकॉन को भारत और अमेरिका में 2.2 अरब डॉलर से अधिक की दो महत्वपूर्ण निवेश योजनाओं के लिए विनियामक अनुमोदन प्राप्त हुआ है।

फोकस ताइवान की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (एमओईए) के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट रिव्यू ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग दिग्गज की निवेश योजना को मंजूरी दे दी है।

डिपार्टमेंट ने कंपनी की सहायक कंपनी फॉक्सकॉन सिंगापुर पीटीई लिमिटेड में पूंजी बढ़ाने के उद्देश्य से 1.49 अरब डॉलर के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

कंपनी की सिंगापुर स्थित यह इकाई, युजान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में निवेश करेगी, जो भारत में फॉक्सकॉन की सब्सिडियरी के तहत काम करने वाली एक अन्य इकाई है। प्रमुख ऐप्पल आईफोन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने अपने भारतीय ऑपरेशंस में 1.48 अरब डॉलर (लगभग 12,800 करोड़ रुपए) का निवेश किया है। यह वर्तमान में स्मार्टफोन डिस्प्ले मॉड्यूल को असेंबल करने के लिए श्रीपेरंबुदूर में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित कर रही है।

उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, भारत ने 2014 से 2024 के बीच 500 अरब डॉलर से अधिक का एफडीआई इक्विटी इनफ्लो आकर्षित किया है, जो पिछले दशक में प्राप्त 208 अरब डॉलर से दोगुना से भी अधिक है।

प्रमुख उद्योग चैंबर एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर के अनुसार, इसमें से 300 अरब डॉलर अकेले 2019 से 2024 के बीच आए है।

नायर ने बताया कि पिछले दशक में मैन्युफैक्चरिंग और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का पुनरुत्थान हुआ है। 2014 से अब तक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सेक्टर को 95 अरब डॉलर का एफडीआई मिला है, जबकि सर्विसेज (फाइनेंस और आईटी से लेकर आरएंडडी और कंसल्टेंसी तक) ने 77 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया है।

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