इज़रायल और हमास के बीच संघर्षविराम समझौते के बाद भारत ने गाज़ा के लोगों के लिए मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण सहयोग की तैयारी शुरू कर दी है। दिल्ली जल्द ही गाज़ा के लिए राहत सामग्री का पहला बड़ा काफिला रवाना करने जा रही है, जिसमें दवाइयां, भोजन, तंबू, कंबल, महिलाओं की स्वच्छता सामग्री और बच्चों का दूध (बेबी फ़ॉर्मुला) शामिल होगा।
आतंकी संगठन हमास द्वारा सभी जीवित बंधकों की रिहाई के बाद युद्धविराम लागू हुआ है। भारत के राज्य विदेश मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह हाल ही में मिस्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मेज़बानी में आयोजित ‘गाज़ा पीस समिट’ में शामिल हुए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने मंगलवार (14 अक्तूबर)को कहा, “भारत मध्य पूर्व में शांति और संवाद के माध्यम से समाधान का पक्षधर है। हम राष्ट्रपति ट्रंप की गाज़ा शांति योजना का समर्थन करते हैं और इस दिशा में मिस्र तथा क़तर की भूमिका की सराहना करते हैं।”
सूत्रों के अनुसार, पहली खेप मानवीय सहायता की होगी, जबकि दूसरे चरण में भारत गाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए संसाधन और तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा। भारत इस पूरी प्रक्रिया को अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के तहत अंजाम देगा।
गाज़ा में वर्तमान में नाजुक संघर्षविराम लागू है, और दिल्ली अगली रणनीतिक प्रगति पर कड़ी नजर रखे हुए है, इसमें इंटरनेशनल स्टेबलाइजेशन फोर्स (अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल) की तैनाती, हमास का निरस्त्रीकरण और ‘बोर्ड ऑफ पीस’ के तहत शासन ढांचा स्थापित करने की प्रक्रिया शामिल है। यह बोर्ड राष्ट्रपति ट्रंप और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के नेतृत्व में बनेगा।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के अधिकारी जैको सिलियर्स ने बताया कि इज़रायली हमलों के कारण गाज़ा में लगभग 5.5 करोड़ टन मलबा जमा हुआ है। यह मिस्र के गीज़ा के पिरामिडों के निर्माण में इस्तेमाल हुई सामग्री से लगभग 13 गुना अधिक है। अब तक केवल 81,000 टन मलबा ही हटाया जा सका है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि गाज़ा को पूरी तरह पुनर्स्थापित होने में कई दशक लग सकते हैं।
इस बीच, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को वाशिंगटन में कहा, “हम हमास को निरस्त्र करेंगे यदि वे खुद नहीं करते हैं। उन्होंने वादा किया था कि वे अपने हथियार डाल देंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो हम करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई तेज़ और संभवतः हिंसक हो सकती है, लेकिन इसे अंजाम दिया जाएगा।
हमास ने अब तक अपने हथियार डालने से इंकार किया है, जबकि यह कदम ट्रंप की पश्चिम एशिया शांति योजना के 20-सूत्रीय कार्यक्रम के अगले चरण का अहम हिस्सा माना जा रहा है। गौरतलब है कि भारत ने ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी लोगों के प्रति सहानुभूति और मानवीय सहयोग की नीति अपनाई है। मौजूदा पहल को न केवल गाज़ा के पुनर्निर्माण की दिशा में, बल्कि मध्य पूर्व में दीर्घकालिक शांति के लिए भारत के सक्रिय योगदान के रूप में भी देखा जा रहा है।
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