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भारत-पाकिस्तान तनाव: IMF से भी कराएंगे बरबादी का इंतजाम, आज भारत करेगा बैठक

समीक्षा बैठक इस बात को तय करेगी कि पाकिस्तान अगली किश्त पाने योग्य है या नहीं।

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 भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब यह टकराव वैश्विक मंचों तक पहुंच चुका है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे ऋण पैकेज की आज समीक्षा की जाएगी, और भारत इस समीक्षा बैठक में अपने विरोध का स्वर मुखर करेगा। यह बैठक वाशिंगटन में आयोजित की जा रही है, जिसमें भारत के कार्यकारी निदेशक IMF बोर्ड के समक्ष देश का पक्ष रखेंगे।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा है, “बोर्ड के निर्णय एक अलग मामला है, लेकिन मुझे लगता है कि पाकिस्तान के संबंध में मामला उन लोगों के लिए स्पष्ट होना चाहिए जो इस देश को बचाने के लिए उदारतापूर्वक अपनी जेब ढीली करते हैं।”

भारत का विरोध केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक है। भारत ने आरोप लगाया है कि IMF से पाकिस्तान को मिल रही वित्तीय सहायता का उपयोग उसकी सैन्य और खुफिया गतिविधियों में किया जा रहा है, जो लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को परोक्ष रूप से मदद पहुंचा रही है। मिस्री ने कहा, “वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में पाकिस्तान की प्रतिष्ठा कई उदाहरणों में निहित है… मुझे यह याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है कि ओसामा बिन लादेन कहां पाया गया था और किसने उसे शहीद कहा था।”

IMF द्वारा पाकिस्तान को मार्च 2025 में जलवायु परिवर्तन के नाम पर 1.3 बिलियन डॉलर और पहले से 7 बिलियन डॉलर का ऋण मंजूर किया गया था, जिसमें से एक बड़ी राशि पहले ही जारी हो चुकी है। लेकिन भारत का तर्क है कि ये संसाधन मानवता की भलाई में कम और भारत के खिलाफ साजिशों में ज्यादा इस्तेमाल हो रहे हैं।

इस बैठक की समय-सीमा भी अत्यंत संवेदनशील है, क्योंकि यह भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कुछ ही दिन बाद आ रही है, जिसमें पाकिस्तान और PoK स्थित आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया था। भारत ने इस सैन्य कार्रवाई के जरिए स्पष्ट संदेश दिया था कि वह अब न केवल सीमा पर, बल्कि कूटनीतिक और वैश्विक वित्तीय मंचों पर भी पाकिस्तान की जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।

IMF की 9 मई की समीक्षा बैठक इस बात को तय करेगी कि पाकिस्तान अगली किश्त पाने योग्य है या नहीं। लेकिन इससे पहले भारत इस मंच पर यह जोर डालने जा रहा है कि दुनिया को अब आतंक और कर्ज के गठजोड़ की वास्तविकता समझनी होगी। वहीं अगर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत का पक्ष समझता है और इसी क्रम में राहत पैकेज को नकारा जाता है तो यह पाकिस्तान के लिए बरबादी का सबब बन सकता है।

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