भारत-रूस ने पुतिन की दिल्ली यात्रा से पहले 2 अरब डॉलर की पनडुब्बी डील पर मुहर

भारत-रूस ने पुतिन की दिल्ली यात्रा से पहले 2 अरब डॉलर की पनडुब्बी डील पर मुहर

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आज नई दिल्ली यात्रा से ठीक पहले भारत और रूस ने एक बड़ी रक्षा साझेदारी पर सहमति जताई है। दोनों देशों ने लगभग 2 अरब डॉलर मूल्य की एक परमाणु-संचालित अटैक सबमरीन को किराए पर लेने का समझौता अंतिम रूप दे दिया है। यह डील लगभग 10 वर्षों से चल रही बातचीत के बाद पूरी हुई है।

अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कीमत को लेकर बार-बार अटकी बातचीत अब सुलझ गई है। भारतीय अधिकारियों ने नवंबर में रूसी शिपयार्ड जाकर उस उत्पादन सुविधा की प्रगति का आकलन भी किया, जहां यह सबमरीन तैयार की जा रही है। समझौते से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सबमरीन की डिलीवरी लगभग दो वर्षों में होने की उम्मीद है, हालांकि तकनीकी जटिलताएँ समय-सीमा आगे बढ़ा सकती हैं।

स्रोतों के अनुसार, यह सबमरीन भारतीय नौसेना के बेड़े में प्रशिक्षण और संचालन कौशल विकसित करने के उद्देश्य से शामिल की जाएगी। अनुबंध में स्पष्ट है कि इसे सक्रिय युद्ध परिस्थितियों में तैनात नहीं किया जा सकेगा। भारत भविष्य में अपनी स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन क्षमता को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है, और यह लीज उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, परमाणु-संचालित पनडुब्बियां पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन की तुलना में कहीं अधिक सक्षम होती हैं। वे कई दिनों तक समुद्र में बिना सतह पर आए काम कर सकती हैं, अधिक गहराई पर संचालित हो सकती हैं और इन्हें ट्रैक करना काफी मुश्किल होता है, खासकर हिंद-प्रशांत जैसे विशाल समुद्री क्षेत्रों में।

वैश्विक स्तर पर परमाणु-संचालित सबमरीन कुछ चुनिंदा देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के पास ही हैं। ऑस्ट्रेलिया भी AUKUS साझेदारी के तहत ऐसी क्षमता विकसित कर रहा है, जबकि दक्षिण कोरिया अमेरिका के साथ सहयोग कर रहा है। भारत की नौसेना के पास वर्तमान में 17 डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं, जबकि रणनीतिक प्रतिरोध क्षमता के तहत स्वदेशी SSBN बेड़े का विस्तार जारी है। अगले वर्ष भारत अपनी तीसरी बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन को शामिल करने की तैयारी में है, साथ ही स्वदेशी SSN कार्यक्रम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

राष्ट्रपति पुतिन इस यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रक्षा, ऊर्जा, और रणनीतिक सहयोग पर वार्ता करेंगे। उच्च-स्तरीय बैठकें, एक निजी डिनर, व्यापार विस्तार एजेंडा और रूस के RT चैनल की प्रस्तावित भारत लॉन्च भी कार्यक्रम में शामिल है। अमेरिकी प्रतिबंधों के दबाव के बीच भारत और रूस ने अपनी रक्षा साझेदारी को बनाए रखा है। भारत रूस से अपने हथियारों और ऊर्जा आयात को लेकर “रणनीतिक स्वायत्तता” पर जोर देता रहा है। सरकारी मंत्रालयों और रूसी संस्थाओं ने अभी इस डील पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।

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