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भारत में बनेगी MQ-सीरीज़ ड्रोन: L&T और अमेरिकी कंपनी जनरल एटोमिक्स की साझेदारी!

87 MALE ड्रोन के लिए रक्षा मंत्रालय की बोली में उतरेगी L&T

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भारतीय इंजीनियरिंग दिग्गज लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने अमेरिकी रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी जनरल एटोमिक्स एरोनॉटिकल सिस्टम्स (GA-ASI) के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। इस सहयोग के तहत दोनों कंपनियां भारत में मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (MALE) श्रेणी के रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम्स (RPAS) का स्थानीय निर्माण करेंगी, जो भारतीय सशस्त्र बलों के लिए लक्षित है।

यह साझेदारी रक्षा मंत्रालय के आगामी 87 MALE ड्रोन की खरीद कार्यक्रम के लिए एलएंडटी को प्रमुख बोलीदाता के रूप में स्थापित करेगी। इसमें जनरल एटोमिक्स प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में शामिल है। इस पहल के तहत पूर्ण तकनीकी हस्तांतरण (Technology Transfer) सुनिश्चित किया जाएगा और यह भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ अभियानों के तहत स्वदेशी उत्पादन के लक्ष्यों को पूरा करेगा।

इस गठजोड़ के माध्यम से GA-ASI के युद्ध-परीक्षित MQ-सीरीज़ ड्रोन, जो विश्वभर में कई सेनाओं द्वारा उपयोग किए जाते हैं उनका निर्माण पूरी तरह से भारत में किया जाएगा। एलएंडटी इस परियोजना में अपनी सटीक इंजीनियरिंग और सिस्टम इंटीग्रेशन विशेषज्ञता लाएगी, जबकि जनरल एटोमिक्स अपने दशकों के मानवरहित प्रणाली अनुभव और तकनीक का योगदान देगा।

कंपनी के बयान के अनुसार, यह साझेदारी भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो न केवल भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को मजबूत करेगी, बल्कि देश में वैश्विक स्तर का एयरोस्पेस विनिर्माण आधार भी तैयार करेगी।

एलएंडटी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एस. एन. सुब्रह्मण्यन ने कहा, “यह गठबंधन भारत की रक्षा क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएगा और एयरोस्पेस तकनीकों में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।”

जनरल एटोमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. विवेक लाल ने कहा, “GA-ASI की सिद्ध तकनीक और L&T की विनिर्माण क्षमता को मिलाकर, हम भारत की परिचालन तत्परता को सुदृढ़ करने वाले अत्याधुनिक MALE RPAS समाधान प्रदान करेंगे और एक स्थायी रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेंगे।” यह साझेदारी भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई देगी और भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धी एयरोस्पेस निर्माण केंद्र के रूप में उभारने में मदद करेगी।

गौरतलब है कि भारतीय सरकार मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत लगभग ₹20,000 करोड़ की लागत से 87 मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस ड्रोन स्थानीय निर्माताओं से खरीदने की योजना पर काम कर रही है। यह सौदा उन 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद से अलग है, जिन्हें भारत ने पिछले वर्ष ₹32,000 करोड़ के करार के तहत जनरल एटोमिक्स से खरीदा था। इन 31 मानवरहित विमानों में 16 स्काई गार्जियन और 15 सी गार्जियन वेरिएंट शामिल हैं, जिन्हें क्रमशः भारतीय वायुसेना और नौसेना को सौंपा जाएगा।

इस नई साझेदारी से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को वैश्विक मानकों तक ले जाने और देश को उन्नत ड्रोन प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।

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