दुर्गापुर में मेडिकल छात्रा से गैंगरेप के करीब तीन सप्ताह बाद, आसनसोल पुलिस ने गुरुवार (30 अक्टूबर) को इस मामले में 861 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट दायर की है। यह चार्जशीट दुर्गापुर के उप-जिला न्यायालय में दाखिल की गई, जिसमें पीड़िता के मित्र और सहपाठी सहित छह लोगों को आरोपी बनाया गया है। दस्तावेज़ में 51 गवाहों के बयान, घटनास्थल के पुनर्निर्माण की रिपोर्ट और मेडिकल साक्ष्य शामिल हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, तीन आरोपी नसीरुद्दीन शेख (23), फिरदौस शेख (23) और अपू बाउरी (21) पर गैंगरेप, डकैती और जबरन वसूली के आरोप लगाए गए हैं। दो अन्य, रियाजुद्दीन शेख (32) और शफीक शेख (27), पर छेड़छाड़, डकैती और जबरन वसूली के आरोप हैं। एक अन्य आरोपी वासिफ अली, जिसने पहले पीड़िता का मित्र बनकर पुलिस को गुमराह किया था। मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच में उसके अपराध में शामिल होने के साक्ष्य मिले। पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में भी बताया कि वासिफ अली ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। पुलिस ने पीड़िता का सहपाठी फिरदौस शेख को इस जघन्य अपराध का मुख्य आरोपी बताया है। सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। शुक्रवार (31 अक्टूबर) को अदालत ने रियाजुद्दीन शेख और शफीक शेख की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।
चार्जशीट दाखिल होने के बाद विशेष लोक अभियोजक बिस्वास चट्टोपाध्याय ने बताया कि अदालत ने मामले की त्वरित सुनवाई के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, “जांच शीघ्रता से पूरी की गई और चार्जशीट दाखिल की गई है। अदालत ने त्वरित सुनवाई का निर्देश दिया है। यह आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट की सफलता है। हमें उम्मीद है कि दो महीने के भीतर ट्रायल पूरा होगा और न्यायिक प्रक्रिया प्रारंभ होगी।” मामला अब अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय को स्थानांतरित किया गया है, जहां सुनवाई 8 नवंबर से शुरू होगी।
यह घटना 10 अक्टूबर की रात की है, जब ओडिशा की एक दूसरे वर्ष की एमबीबीएस छात्रा को दुर्गापुर के एक निजी मेडिकल कॉलेज के पास जंगल क्षेत्र में गैंगरेप का शिकार बनाया गया था। वह अपने मित्र वासिफ अली के साथ कॉलेज परिसर से बाहर टहलने गई थी, जब हमलावरों ने उसे अगवा कर जंगल में ले जाकर बारी-बारी से बलात्कार किया। बताया गया कि जब अपराध हो रहा था, उस दौरान उसका मित्र घटनास्थल से भाग गया था।
11 अक्टूबर को पीड़िता के पिता के पहुंचने के बाद एफआईआर दर्ज की गई। इस घटना ने पश्चिम बंगाल में व्यापक आक्रोश पैदा किया और राज्य की महिला सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि, “लड़कियों को रात में कॉलेज परिसर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ” जिसके बाद विपक्षी दलों और महिला संगठनों ने सरकार पर पीड़िता को दोष देने का आरोप लगाया।
हाल के वर्षों में पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कई मामले सामने आए हैं, जिससे राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ी है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में न्याय शीघ्र सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक साक्ष्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
यह भी पढ़ें:
मिर्गी के मरीजों के लिए योग है सबसे प्रभावी उपाय, मानसिक शांति और शरीर का लचीलापन बढ़ाएं!
विटामिन बी12 की कमी को न करें नजरअंदाज,आयुर्वेद से जानें लक्षण और उपाय
डायबिटीज मरीजों के लिए नाशपाती वरदान, दिल का भी रखता है ख्याल!



