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Tuesday, December 23, 2025
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“भारत WTO के दायरे में रहेगा, लेकिन संगठन में सुधार जरुरी”

ट्रेड वॉर की अटकलों के बीच केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने की बड़ी टिप्पणी !

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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार (11 अप्रैल)को ट्रेड वॉर की चिंताओं पर स्पष्ट तौर पर कहा कि भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) के फ्रेमवर्क में काम करता रहेगा, लेकिन मौजूदा वैश्विक व्यापार व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। उन्होंने यह बात नई दिल्ली में आयोजित 9वें ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट को संबोधित करते हुए कही।

पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे अपने सभी द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को WTO की सीमा के भीतर रखता है, लेकिन समय के साथ डब्ल्यूटीओ की नीतियों और प्राथमिकताओं में पुनर्विचार अनिवार्य हो गया है। उन्होंने विकासशील देशों की परिभाषा की फिर से समीक्षा की जरूरत बताई, साथ ही ई-कॉमर्स नियमों, कृषि निर्णयों और मत्स्य पालन से जुड़े मुद्दों पर अधिक स्पष्टता की मांग की।

गोयल ने कहा, “भारत में अवसरों की भरमार है। अगले दो से ढाई दशकों में भारत 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं के बल पर आठ गुना वृद्धि करेगा। इससे घरेलू मांग में भारी वृद्धि होगी और वैश्विक स्तर पर पहचाने जाने वाले पैमाने के लाभ मिलेंगे।”  उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले दशकों में आठ गुना तक बढ़ने की क्षमता रखती है।

केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत में व्यापार के प्रति वैश्विक रुचि तेजी से बढ़ रही है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में कम से कम आठ उच्च स्तरीय विदेशी प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर आए हैं, जो देश के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध बनाने को इच्छुक हैं।

उन्होंने बताया कि भारत का टैरिफ संरक्षण तंत्र मुख्य रूप से गैर-बाजार अर्थव्यवस्थाओं के खिलाफ है, जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है। गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत उन देशों के साथ ही व्यापारिक साझेदारी को बढ़ावा देना चाहता है जो पारस्परिकता, विश्वास और निष्पक्षता को महत्व देते हैं।

बाहरी दबाव को लेकर उठे सवालों को खारिज करते हुए मंत्री ने कहा,”कोई दबाव नहीं है।भारत के पास ऐसे अवसर होना अपने आप में बहुत रोमांचक है। आज हमारे निर्यात हमारे सकल घरेलू उत्पाद का अपेक्षाकृत छोटा हिस्सा हैं, लेकिन हमारा मजबूत घरेलू बाजार और महत्वाकांक्षी युवा भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि चीन की भूमिका भारत के व्यापार मॉडल में सीमित रही है।”भारत हमेशा अपने हितों को सबसे पहले रखेगा। अभी तक, चीन से बहुत कम एफडीआई आया है और ऐतिहासिक रूप से भी, चीनी निवेश न्यूनतम रहा है। हमारा प्रयास उन विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ इंटीग्रेशन पर केंद्रित है, जिनकी बिजनेस प्रैक्टिस सही मायने में बेहतर हैं।”उन्होंने कहा।

पीयूष गोयल के इस बयान को न केवल डब्ल्यूटीओ में सुधार की वकालत के तौर पर देखा जा रहा है, बल्कि यह भी स्पष्ट संदेश है कि भारत अब व्यापार के वैश्विक नक्शे पर मजबूती से अपने हितों की रक्षा करते हुए रणनीतिक साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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