सितंबर के अंत में 700 बिलियन डॉलर के अपने शिखर से भारी गिरावट के बाद विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार सुधार हुआ है। सितंबर 2024 में कुल विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 18 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के लिए, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, जो कि भंडार का एक प्रमुख घटक है, बढ़कर 578.49 बिलियन डॉलर हो गई। आरबीआई ने बताया कि इस अवधि के दौरान स्वर्ण भंडार में 4.575 बिलियन डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई, जो 84.572 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई।
बैंक के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 212 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.568 बिलियन डॉलर हो गए। आंकड़ों से पता चला कि आईएमएफ के साथ भारत की रिजर्व पॉजिशन में 7 मिलियन डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई, जो रिपोर्टिंग सप्ताह में 4.51 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, भारत के वित्तीय बाजार, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक गतिशील और मजबूत ताकत के रूप में विकसित हुए हैं। विदेशी मुद्रा बाजार 2020 में 32 बिलियन डॉलर से लगभग दोगुना होकर 2024 में 60 बिलियन डॉलर हो गया है और ओवरनाइट मनी मार्केट में औसत दैनिक वॉल्यूम इस चार साल की अवधि में लगभग 3 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 5.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।
इसी अवधि में सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) बाजारों में औसत दैनिक वॉल्यूम में भी 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह 66,000 करोड़ रुपए हो गया है।
मल्होत्रा ने कहा कि विदेशी मुद्रा, जी-सेक और मनी मार्केट सहित देश के सभी फाइनेंशियल मार्केट सेगमेंट काफी हद तक स्थिर रहे हैं। हालांकि, कुछ महीने पहले रुपया थोड़ा दबाव में आया था, लेकिन उसके बाद घरेलू करेंसी ने बेहतर प्रदर्शन किया।
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