दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई योजना में 4,081 करोड़ रुपये का निवेश!

दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई योजना में 4,081 करोड़ रुपये का निवेश!

Investment of Rs 4,081 crore in PLI scheme for telecom and networking products!

‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देते हुए, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना में 31 जनवरी तक 4,081 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जिससे 78,672 करोड़ रुपये की कुल बिक्री हुई है, जिसमें 14,963 करोड़ रुपये की निर्यात बिक्री शामिल है।

संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासनी चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी कि इसके तहत 26,351 लोगों के लिए रोजगार पैदा हुआ है।दूरसंचार विभाग (DOT) ने 12,195 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ भारत में दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 24 फरवरी, 2021 को पीएलआई योजना को अधिसूचित किया।

डिजाइन-लेड मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देते हुए भारत में डिजाइन, विकसित और निर्मित उत्पादों को अतिरिक्त 1 प्रतिशत प्रोत्साहन देने के लिए स्कीम की गाइडलाइंस में नए बदलाव किए गए हैं। इसके अलावा, उद्योगों की जरूरतों को देखते हुए अप्रूव्ड लिस्ट में 11 अतिरिक्त प्रोडक्ट्स को जोड़ने के लिए नियम बदले गए हैं।

इसी के साथ कंपनियों को स्कीम की अवधि के दौरान किसी भी समय एक या एक से ज्यादा प्रोडक्ट्स जोड़ने की सुविधा भी दी गई है और कंपनियों को तिमाही आधार पर प्रोत्साहन दावों के लिए आवेदन करने का विकल्प दिया गया है। PLI योजना में 33 दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद शामिल हैं, जिनके खिलाफ कंपनियां प्रोत्साहन का दावा कर सकती हैं।

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1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाएं विनिर्माण विकास को बढ़ावा दे रही हैं। लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, पीएलआई योजना के तहत दूरसंचार उपकरण विनिर्माण ने बिक्री में 50,000 करोड़ रुपये को पार कर लिया है।

पीएलआई योजना के तहत भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र फल-फूल रहा है, जो मोबाइल फोन के शुद्ध आयातक से शुद्ध निर्यातक में बदल गया है।घरेलू उत्पादन 2014-15 में 5.8 करोड़ यूनिट से बढ़कर 2023-24 में 33 करोड़ यूनिट हो गया, जबकि आयात में कमी आई है। निर्यात 5 करोड़ यूनिट तक पहुंच गया और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 254 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो विनिर्माण और निवेश को बढ़ावा देने में योजना की भूमिका को दर्शाता है।

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