पश्चिम एशिया में हालात अब बेहद विस्फोटक हो चुके हैं। इजरायल और ईरान के बीच जारी तनाव अब एक पूर्ण क्षेत्रीय संघर्ष में बदल चूका है। रविवार () रात शुरू हुए हमलों की नई लहर ने दोनों देशों में भयावह तबाही मचाई है। इजरायल ने अपने सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत ईरान के सबसे बड़े गैस क्षेत्र पर हवाई हमला किया, जो उसकी आर्थिक जीवनरेखा माना जाता है। यह हमला इजरायल की ओर से अब तक का सबसे बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है।
ईरानी अधिकारियों के अनुसार, तेहरान में इजरायली मिसाइल से एक 14 मंजिला आवासीय इमारत को निशाना बनाया गया, जिसमें कम से कम 60 लोगों की जान चली गई, जिनमें 29 बच्चे भी शामिल थे। यह हमला उन कई अन्य ठिकानों में से एक था, जिन पर इजरायल ने निशाना साधा। दूसरी ओर, उत्तरी इजरायल के गैलिली क्षेत्र में ईरान की मिसाइलों ने एक अपार्टमेंट को ध्वस्त कर दिया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि यह लड़ाई ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “90वें मिनट” पर रोकने की कोशिश है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में तेहरान पर और बड़े हमले होंगे। नेतन्याहू ने दावा किया कि नतांज और इस्फ़हान समेत 150 से अधिक ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें कई सैन्य कमांडर और नौ परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं।
जवाबी कार्रवाई में ईरान ने चार अलग-अलग दौर में करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन इजरायल की ओर दागे। हालांकि अमेरिका की सहयोगी रक्षा प्रणाली की मदद से इजरायल ने इनमें से अधिकांश मिसाइलों को नष्ट कर दिया, लेकिन कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए। ईरान ने यह भी चेतावनी दी कि अगर कोई विदेशी सैन्य अड्डा ईरानी मिसाइलों को रोकने में शामिल पाया गया, तो उसे भी निशाना बनाया जाएगा।
इस हिंसा के चलते ईरान ने अमेरिका के साथ जारी परमाणु वार्ता को तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया है। मध्यस्थता कर रहे ओमान ने पुष्टि की कि अब वार्ता की कोई संभावना नहीं बची है। ईरान ने वाशिंगटन की चुप्पी को “मिलीभगत” करार दिया है।
सभी घटनाओं के बीच, भारत ने एससीओ शिखर सम्मेलन में संयम और कूटनीति की अपील की, हालांकि उसने चीन के नेतृत्व वाले बयान का समर्थन नहीं किया जिसमें इजरायल की कड़ी आलोचना की गई थी। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने नेतन्याहू पर “क्षेत्र को आग में झोंकने” और “गाजा जनसंहार से ध्यान भटकाने” का आरोप लगाया। उन्होंने चेतावनी दी कि इस संघर्ष से क्षेत्र में अनियमित प्रवास की बड़ी लहर उठ सकती है।
इस बीच, क्रोएशिया के वाणिज्यदूत और उनकी पत्नी तेल अवीव में ईरानी मिसाइल हमले में घायल हो गए। क्रोएशियाई विदेश मंत्री ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और नागरिकों व कूटनीतिक परिसरों पर हमलों की निंदा की।
अब जबकि इजरायल अमेरिका से समर्थन का दावा कर रहा है और ईरान आगे और उग्र जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दे चुका है, सवाल यह है कि क्या यह युद्ध केवल दो देशों तक सीमित रहेगा, या पूरा पश्चिम एशिया इसकी चपेट में आ जाएगा। यह संकट वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति, परमाणु सुरक्षा और कूटनीति की दिशा के लिए एक गंभीर खतरे का संकेत बन चुका है।
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