स्थानीय निवासियों ने इस सीजफायर का स्वागत करते हुए इसे दोनों देशों द्वारा उठाया गया उचित कदम बताया है। मेंढर के निवासी शाहनवाज खान ने कहा, “हम इस सीजफायर का स्वागत करते हैं। दोनों मुल्कों ने बहुत अच्छा फैसला लिया है। गोलाबारी से नागरिकों और प्रशासन को भारी नुकसान हुआ था। अब यह शांति बरकरार रहनी चाहिए। हम सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग हैं, अपने घर छोड़कर कहीं जा नहीं सकते।”
पिछले कुछ वर्षों में सीमा पर बार-बार होने वाली गोलाबारी ने मेंढर के लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया था। कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, मकान और दुकानें तबाह हुईं, और व्यापार ठप हो गया था। व्यापारी कफील खान ने बताया, “पहले डर के माहौल में लोग घरों से बाहर नहीं निकलते थे। कुछ लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे। लेकिन अब बाजार में चहल-पहल शुरू हो गई है। पांच दिन बाद बाजार का माहौल सामान्य होने लगा है। हम चाहते हैं कि यह अमन बरकरार रहे।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि गोलाबारी के कारण न केवल जान-माल का नुकसान हुआ, बल्कि बच्चों की पढ़ाई और युवाओं के रोजगार पर भी बुरा असर पड़ा। कफील खान ने 1947, 1965 और 1971 के युद्धों का जिक्र करते हुए कहा, “हमने कई बार गोलाबारी देखी है। इससे सिर्फ नुकसान हुआ है। मेंढर और पुंछ में कम से कम 12 लोग शहीद हो चुके हैं। सरकार को पीड़ित परिवारों को मुआवजा और सहायता देनी चाहिए।”
युवा व्यापारी सोनू शर्मा ने भी शांति की वकालत की। उन्होंने कहा, “जंग से कुछ हासिल नहीं होता। जिनके परिवार के लोग मारे गए, उनके लिए तो जंग पहले ही हो चुकी है। अब सीजफायर से दोनों देशों को फायदा होगा। यह शांति बरकरार रहनी चाहिए।”
स्थानीय लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस सीजफायर को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी सुविधाएं जैसे स्कूल, अस्पताल, और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं। लोगों का मानना है कि शांति के साथ-साथ विकास भी जरूरी है ताकि सीमा पर रहने वाले लोग सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
वहीं व्यापारियों का कहना है कि पिछले कुछ समय से बाजार पूरी तरह ठप पड़े थे, लेकिन अब ग्राहकों की आवाजाही बढ़ गई है और कारोबार में सुधार आ रहा है। क्षेत्र के बुजुर्गों और युवाओं ने भी एक स्वर में शांति की मांग की और कहा कि सीमा पर रहने वाले लोगों का जीवन तबाह हो जाता है जब गोलियों और गोलों की आवाजें गूंजती हैं।
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