रूस की सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम ने तमिलनाडु के कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के तीसरे रिएक्टर के लिए पहली परमाणु ईंधन की खेप भारत को भेज दिया है। यह आपूर्ति ऐसे समय में हुई है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर हैं और शुक्रवार (5 दिसंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
रोसाटॉम ने गुरुवार (4 दिसंबर)को बयान जारी करके पुष्टि की कि न्यूक्लियर फ्यूल असेंबलीज़ को रूस के नोवोसिबिर्स्क केमिकल कंसंट्रेट्स प्लांट में तैयार किया गया और कंपनी की न्यूक्लियर फ्यूल डिवीजन द्वारा ऑपरेट किए गए एक कार्गो विमान से भारत भेजा गया। कंपनी के अनुसार, तीसरे रिएक्टर के पूरे कोर की आपूर्ति के लिए कुल सात उड़ानों की योजना है, जिनमें से पहली खेप भारत पहुंच चुकी है। इसके साथ ही कुछ रिज़र्व ईंधन भी भेजा जाएगा।
यह पूरा प्रोजेक्ट 2024 में साइन हुए लंबे अवधि के कॉन्ट्रैक्ट के तहत चल रहा है, जिसमें कुडनकुलम के तीसरे और चौथे VVR-1000 रिएक्टरों की सम्पूर्ण लाइफटाइम फ्यूल सप्लाई शामिल है।
कुडनकुलम में कुल छह VVR-1000 रिएक्टर लगाए जा रहे हैं, जिनकी संयुक्त क्षमता 6,000 मेगावाट होगी। पहला रिएक्टर 2013 में, दूसरा रिएक्टर 2016 में ग्रिड से जोड़ा गया था, जबकि बाकी चार रिएक्टर अभी निर्माणाधीन हैं। रोसाटॉम के अनुसार, पहले चरण के दोनों रिएक्टरों में भारतीय और रूसी इंजीनियरों ने मिलकर उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए एडवांस्ड फ्यूल टेक्नोलॉजी और एक्सटेंडेड फ्यूल साइकिल लागू किए हैं।
पुतिन की भारत यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग प्रमुख एजेंडा है। 23वें शिखर सम्मेलन में दोनों देश S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, S-500 की प्रारंभिक बातचीत, और Su-57 फाइटर जेट से जुड़े प्रस्तावों पर चर्चा करेंगे। इस बीच, भारत ने अमेरिका के साथ अपनी नौसेना के लिए 24 MH-60R ‘सीहॉक’ हेलिकॉप्टरों के रखरखाव हेतु 946 मिलियन डॉलर का समझौता भी अंतिम रूप दे दिया है।
रक्षा अधिकारियों के अनुसार, भारत और रूस वायु-रक्षा, फाइटर उन्नयन कार्यक्रमों और नौसैनिक सहयोग पर केंद्रित कई चल रहे और आगामी प्रोजेक्ट्स की समीक्षा करेंगे। S-400 त्रिउम्फ प्रणाली पर निरंतर सहयोग भी बैठक का प्रमुख विषय रहेगा।
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