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Saturday, December 28, 2024
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तेरी मिट्टी में मिल जावा… पाकिस्तान का वो गांव, जिसे याद कर भावुक हुआ करते थे पूर्व प्रधानमंत्री!

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। उन्होंने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली| उनका पैतृक गांव पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में था। इस गांव में जाने की उनकी इच्छा अधूरी रह गई|

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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। गुरुवार रात उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई| उनके निधन के बाद देश में सात दिन का शोक घोषित किया गया| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शोक व्यक्त किया| उनका पैतृक गांव पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में था। इस गांव में जाने की उनकी इच्छा अधूरी रह गई|

विभाजन की पीड़ा: उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। उन्होंने विभाजन का दर्द झेला है| असली लोगों को अपनी जायज़ ज़मीन छोड़कर अमृतसर आना पड़ा। विभाजन-पूर्व दंगों के दौरान, उन्हें अपनी दादी और अन्य रिश्तेदारों का नुकसान उठाना पड़ा। 

गाह गांव में जन्म: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था| यह गांव अब चकवाल जिले में पड़ता है| 2004 में डॉ. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने| उस वक्त पाकिस्तान में इसकी सबसे ज्यादा चर्चा हुई थी| 2007 में पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने गाह को एक आदर्श गांव बनाने की नीति की घोषणा की| इतना ही नहीं, वहां के सरकारी लड़कों के स्कूल का नाम भी उनके नाम पर रखा गया।

डॉ.मनमोहन सिंह सरकारी लड़कों का स्कूल: गाह गांव में, पाकिस्तान सरकार ने उनके सम्मान में एक स्कूल की स्थापना की। नाम रखा गया मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज़ स्कूल|  उनका बचपन इसी गांव में बीता। उन्होंने इस जगह की कई यादें अपने दिल के करीब रखीं। वह अक्सर इस गांव की यादें ताजा करते रहते थे। जब वह प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने भी इस गांव में जाने की इच्छा जताई थी| उनके मित्र राजा मोहम्मद अली उनसे मिलने भारत आये। उस वक्त उन्होंने गांव जाने की इच्छा जताई थी|

ग्रामीणों ने जताया आभार: डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधान मंत्री बनने के बाद, पाकिस्तान सरकार ने घोषणा की कि गाह गांव एक आदर्श गांव होगा। इसके बाद इस गांव में कई सुविधाएं आईं. यह गांव आदर्श गांव के नाम से जाना जाने लगा। गांव को पक्की सड़क, पानी की सुविधा और बिजली मिली। लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल की स्थापना की गई। कईयों को पक्के मकान मिल गये।

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