प्रयागराज। इस बार की दिवाली मिट्टी के दीये और मूर्ति बनाने वाले कुम्हारों के लिए खुशियों की नई सौगात लेकर आई हुई है। पिछले कुछ सालों में चाइनीज आइटम्स की जबरदस्त डिमांड के चलते मंदी की मार झेल रहे कुम्हारों के पास इस बार काम से फुरस्त नहीं हैं। उनके बनाए दीये और दूसरे सामान हाथों-हाथ बिक जा रहे हैं।
कुम्हारों की चाक कतई थमने का नाम नहीं लेती। कुम्हारों की ज़िंदगी में यह बदलाव पीएम नरेंद्र मोदी के स्वदेशी व आत्मनिर्भर भारत के नारे के चलते आई है। इन नारों का इतना ज़बरदस्त असर हुआ है कि कुछ महंगा बिकने के बावजूद ज़्यादातर लोग चाइनीज आइटम्स से तौबा कर इस बार कुम्हारों द्वारा तैयार किये गए मिट्टी के दीये- मूर्तियां, मंदिर व खिलौने ही खरीद रहे हैं। कुम्हार इससे काफी खुश हैं और वह पीएम मोदी के साथ ही ओडीओपी शुरू करने वाले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे हैं।
प्रयागराज के अलोपीबाग इलाके की कुम्हार बस्ती में रहने वाले कुम्हारों के मुताबिक़ इस बार उन्हें न सिर्फ भरपूर काम मिला हुआ है, बल्कि तैयार किये गए सामानों की अच्छी कीमत भी मिल रही है। इस बस्ती में मिट्टी के दीये व दूसरे सामान खरीदने के लिए आने वाले लोगों का भी यही कहना है कि वह इस बार देश में बने सामानों के ज़रिये ही अपना त्यौहार मनाना चाहते हैं।
यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ के मुताबिक़ पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल नारे का इतना ज़बरदस्त असर देखने को मिल रहा है कि अकेले यूपी में इस बार चाइनीज सामानों की बिक्री 40 फीसदी तक घट गई है। उनके मुताबिक़ इसका सीधा फायदा छोटे कामगारों को मिल रहा है।
2 लाख ‘दिये’ बनाने का आर्डर
इस दीपावली 12 लाख दीयों से अयोध्या नगरी जगमगाएगी, लेकिन इनकी रौशनी से काशी के कुम्हारों के घर भी रौशन होगें। वाराणसी के कुम्हारों लगभग 2 लाख दियों को बनाने का टारगेट मिला है। कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुम्हारों के परिवारों की स्थिति में इससे सकारात्मक बदलाव आएंगे। इससे न सिर्फ कुम्हारों को रोजगार मिलेगा, बल्कि इससे आजिविका भी सुधरेगी। इस बार दीपावली इनके घरों को भी खुशियों से रौशन करेगी. वाराणसी के सुद्दीपूर गांव के कुम्हारों को यह टारगेट मिला है।
वाराणसी के शिवपुर स्थित सुद्धिपूर गांव को कुम्हारों का गाँव कहा जाता है। यहां 40 परिवार ऐसे हैं, जो कुम्हार का कार्य करते हैं. जिसमे से 20 परिवार अलग अलग डिजाइन के दियों को बनाने का कार्य करते हैं. इसके अलावा अन्य 20 परिवार मिट्टी के बर्तनों को बनाने का कार्य करते हैं. इन्ही दियों से इनकी आजिविका चलती हैं.इस दिवाली लगभग 2 लाख दियों को बनाने का कार्य इन 20 परिवारों को मिला है। जिसे बनाने में परिवार के सभी सदस्य रात दिन जुटे हुए हैं।