ब्रिटेन में नए पीएम के चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो गई है, इसी के साथ ऋषि सुनक बनाम लिज ट्रेस यानी ब्रिट्रेन के प्रधानमंत्री बनने की रेस यहाँ खत्म हो गई। जहां एक तरफ ऋषि सुनक हार गए हैं। वहीं दूसरी तरफ यूके की विदेश मंत्री लिज ट्रस वहां की नई प्रधानमंत्री चुन ली गई हैं। पीएम के इस चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी के करीब 1 लाख 60 हजार से ज्यादा सदस्यों ने वोट किया था। चुनाव से पहले आ रहे सर्वे में भी बताया जा रहा था कि ऋषि सुनक इस रेस में पिछड़ गए हैं। लिज ट्रस ने 20 हजार से ज्यादा वोटों से ऋषि सुनक को मात दे दी। इसके साथ ही ट्रस कंजर्वेटिव पार्टी के कार्यकर्ताओं की पहली पसंद बनीं। ट्रस को 81 हजार 326 वोट मिले जबकि सुनक को 60 हजार 399 वोट प्राप्त हुए। उन्हें ऋषि सुनक के खिलाफ अच्छी-खासी बढ़त प्राप्त हुई। लेबर पार्टी समर्थक परिवार से आने वाली ट्रस ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत लिबरल डेमोक्रेटिक नामक पार्टी से की थी। लिज ट्रस ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले मार्गरेट थैचर और थेरेसा भी इस पद पर रह चुकी हैं।
ब्रिटेन के इस चुनाव में भारत की दिलचस्पी का एक बड़ा कारण ऋषि सुनक थें, जो न केवल भारतीय मूल के हैं बल्कि भारत के दामाद भी हैं। दरअसल, उनकी पत्नी अक्षिता भारतीय आईटी उद्योगपति एन आर नारायणमूर्ति की बेटी हैं। 200 साल भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन में प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदारों में एक चेहरा भारतीय मूल का भी था। ब्रेक्सिट चुनावों में भारी जीत दर्ज कर सत्ता में आए बोरिस जॉन्सन की सरकार में 42 वर्षीय ऋषि सुनक वित्त मंत्री रहे। हालांकि ब्रिटेन में पीएम की रेस में सुनक के हारने की खबर भारतवासियों के लिए किसी सदमे से कम नहीं हैं।
लिज से जुड़ा एक दिलचस्प वाक्या भी है जब उन्हें एक भी वोट नसीब नहीं हुई थी। इसका जिक्र खुद लिज ने ही किया था। पर आज वही महिला ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बन गई है। ट्रस के राजनीतिक सफर की बात करें तो 2001 के आम चुनावों के जरिये उनके राजनीतिक करियर की शुरुवात हुई थी। उन्होंने हेम्सवर्थ, वेस्ट से कंजर्वेटिव पार्टी की उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा था। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। ट्रस ने 2005 में वेस्ट यॉर्कशायर पार्टी की उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा था। लेकिन यहाँ भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। ट्रस ने 2005 में ही काल्डर वैली सीट से फिर चुनाव लड़ा लेकिन इस बार भी उन्हें एक और हार का सामना करना पड़ा। चार मई 2006 को उन्होंने पहला चुनाव पार्षद के तौर पर जीता। इसके बाद 2010 में वह पहली बार सांसद चुनी गईं। 2010 में सांसद बनी और 2012 में देश की शिक्षा मंत्री बनी। ऊसके बाद साल 2016 में न्याय सचिव का पद संभाला। 2017 में उन्हें ट्रेजरी प्रमुख का पद दे दिया गया। 2019 में जब बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री बने तो लिज ट्र को विदेश सचिव बना दिया गया।
46 साल की लिज ने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। हालांकि बाद में वो कंजर्वेटिव पार्टी में शामिल हो गई। ब्रिटेन में दो मेन पार्टिया हैं, एक कंजर्वेटिव पार्टी जिसे दक्षिणपंथी विचारों वाली मानी जाती हैं। वहीं दूसरी लेबर पार्टी हैं जो वामपंथी पार्टी है। यूक्रेन और रूस के युद्ध के प्रति शुरुवात से ही लिज ट्रस का कड़ा रुख रहा है। यूके की तरफ से रूस पर जो भी प्रतिबंध लगाए गए उसमें लिज ट्रस की सबसे बड़ी भूमिका रही है। बेरिस जॉनसन हर संभव प्रयास कर रहे थे कि ऋषि सुनक को पीएम पद पर बैठने से रोका जाए। ब्रिटेन में टैक्स, बेग्जिट और इकोनॉमी मुख्य मुद्दा इस चुनाव में रहा। ब्रिटेन में जब पीएम के रूप में बोरिस जॉनसन के विकल्प की बात हुई तो सुनक का नाम तेजी से ऊपर चढ़ता दिखा। उनके ‘रेडी फॉर सुनक’ कैंपेन को काफी अच्छा रेस्पॉन्स मिल रहा था। लेकिन बाद में यह चर्चा होने लगी कि सुनक ने ही बोरिस जॉनसन का तख्तापलट किया है। ऐसे में उनको पीएम पद का ताज नहीं मिल सकता। इसके अलावा साजिद जाविद, नादिम जहावी और मार्डंट जैसे सांसदों ने भी अपना पाला बदल लिया था।
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