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Tuesday, June 24, 2025
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भारत से 50 मिलियन डॉलर की मदद पर मालदीव ने जताया आभार

मालदीव के विदेश मंत्री डॉ. अब्दुल्ला खलील ने सोमवार को इसे "दोनों देशों के बीच भरोसे और गहरी दोस्ती का प्रतीक" बताया।

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हिंद महासागर की लहरों के बीच बसे छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से अहम देश मालदीव ने भारत से मिली 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय मदद पर गहरा आभार जताया है। मालदीव के विदेश मंत्री डॉ. अब्दुल्ला खलील ने सोमवार को इसे “दोनों देशों के बीच भरोसे और गहरी दोस्ती का प्रतीक” बताया।

एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किए गए अपने संदेश में खलील ने लिखा, “मैं विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और भारत सरकार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने मालदीव को 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल को रोलओवर करके महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की।”

उन्होंने कहा कि यह सहयोग न केवल समय पर मिला है, बल्कि यह मालदीव की आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने और सुधारों को लागू करने में मददगार साबित होगा। गौरतलब है कि भारत ने यह सहायता उस समय बढ़ाई है जब मालदीव आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और अपने वित्तीय ढांचे में सुधार की कोशिशों में जुटा है।

मालदीव में भारतीय उच्चायोग के अनुसार, 2023 में भारत ने मालदीव सरकार के अनुरोध पर 50 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल को बिना ब्याज के एक साल के लिए आगे बढ़ाया था। यह निर्णय भारत-मालदीव के मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों का हिस्सा है, जिसे “विजन फॉर कॉम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक एंड मैरीटाइम सिक्योरिटी पार्टनरशिप” के तहत आकार दिया जा रहा है।

यह साझेदारी नवंबर 2023 में उस वक्त और मजबूती के साथ सामने आई जब मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निमंत्रण पर भारत का दौरा किया था। यह मुइज्जू का बतौर राष्ट्रपति पहला विदेश दौरा था, जिसने इस बात के संकेत दिए कि भले ही राजनीति में लहरें उठें, लेकिन दोनों देशों के रिश्तों की नींव स्थिर है।

मालदीव राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से उस समय जारी बयान में कहा गया था कि भारत की वित्तीय सहायता में “इस वर्ष मई और सितंबर में टी-बिल्स को बिना ब्याज के बढ़ाना और द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय समझौते के तहत 400 मिलियन डॉलर तक का समर्थन” शामिल था।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब मालदीव की आंतरिक राजनीति और क्षेत्रीय संतुलन को लेकर कुछ सवाल उठते रहे हैं। फिर भी, भारत की ओर से समय पर मिली यह सहायता यह दर्शाती है कि दक्षिण एशिया में भारत अब भी सबसे भरोसेमंद और स्थिर भागीदार बना हुआ है।

जहां एक ओर चीन जैसे देश मालदीव में अपने निवेश और प्रभाव को बढ़ा रहे हैं, वहीं भारत का यह कदम यह स्पष्ट करता है कि वह अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को “नेबरहुड फर्स्ट” नीति के तहत स्थायी, पारदर्शी और सहयोगात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़ाना चाहता है।

 

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