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ईरान ने ठुकराया अमेरिका से समझौता, अड़ा रहा परमाणु ढांचे को खत्म न करने पर

मतभेद अब भी गहरे हैं।

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ईरान ने अमेरिका की उस पुरजोर अपील को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें तेहरान से अपने परमाणु ढांचे को पूरी तरह खत्म करने की मांग की गई थी। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने स्पष्ट कहा है कि ईरान अपने परमाणु अधिकारों से किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने दो टूक कहा, “यह अस्वीकार्य है। ईरान अपने शांतिपूर्ण परमाणु अधिकारों को नहीं छोड़ेगा।”

ईरान और अमेरिका के बीच ओमान की राजधानी मस्कट में जारी अप्रत्यक्ष बातचीत के इस नवीनतम दौर ने 2015 के परमाणु समझौते—जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA)—को फिर से जीवित करने की उम्मीदों को कुछ हवा दी है, लेकिन मतभेद अब भी गहरे हैं। मस्कट में बीते सप्ताह तीन घंटे चली बातचीत के बाद ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने बताया कि अब चर्चा सामान्य मुद्दों से हटकर विशेष प्रस्तावों पर केंद्रित हो गई है। उन्होंने वार्ता को सकारात्मक, लेकिन जटिल करार दिया।

इस बातचीत की मध्यस्थता ओमान कर रहा है। इससे पहले 12 और 26 अप्रैल को मस्कट में तथा 19 अप्रैल को रोम में भी इसी विषय पर बातचीत हो चुकी है। अमेरिका, जो 2018 में ट्रंप प्रशासन के दौरान इस समझौते से एकतरफा हट गया था, अब दोबारा समझौते में शामिल होना चाहता है लेकिन सख्त शर्तों के साथ।

अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हालिया बातचीत में यह मांग दोहराई कि ईरान नतांज, फोर्डो और इस्फहान जैसी प्रमुख परमाणु सुविधाओं को समाप्त करे और समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन बंद कर केवल आयात पर निर्भर रहे।

इसके जवाब में राष्ट्रपति पेजेशकियान ने दोहराया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और इसका उपयोग “रेडियोफार्मास्यूटिकल्स, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों” के लिए किया जा रहा है। उन्होंने सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के उस धार्मिक फरमान का हवाला भी दिया जिसमें परमाणु हथियारों के विकास को इस्लाम के खिलाफ बताया गया है।

ईरानी नेतृत्व का यह कड़ा रुख दर्शाता है कि वह पश्चिमी दबाव में अपने रणनीतिक कार्यक्रमों को त्यागने के लिए तैयार नहीं है, भले ही बातचीत के लिए दरवाज़े खुले रखने की बात कही जा रही हो। पेजेशकियान ने कहा, “हम बातचीत में गंभीर हैं और समझौता चाहते हैं। हम शांति के लिए बातचीत करते हैं।”

बातचीत की यह प्रक्रिया अब जिस मोड़ पर है, वहां से आगे का रास्ता या तो किसी संतुलित समझौते की ओर जाएगा या फिर एक और गतिरोध की दिशा में। फिलहाल, ईरान के रुख से साफ है कि वह अपने अधिकारों के सवाल पर किसी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं है।

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