सोशल मीडिया स्टार और यूट्यूबर एल्विश यादव की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। रेव पार्टी और सांप के जहर के दुरुपयोग के बहुचर्चित मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अहम सुनवाई होने जा रही है। एल्विश ने अपने खिलाफ दायर चार्जशीट और समन आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत में याचिका दायर की है।
यादव पर आरोप है कि उन्होंने रेव पार्टियों का आयोजन किया, जिनमें विदेशी नागरिक भी मौजूद थे और जिनमें कथित तौर पर वन्य जीव अधिनियम का उल्लंघन करते हुए सांप का जहर और नशीले पदार्थों का इस्तेमाल किया गया। शिकायतकर्ता का दावा है कि एल्विश ने उन्हें एक “राहुल” नामक व्यक्ति से मिलवाया, जिसने रेव पार्टी आयोजित करने की बात मानी।
इन आरोपों के आधार पर नोएडा के सेक्टर-49 थाने में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, भारतीय दंड संहिता और एनडीपीएस एक्ट की संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इनमें धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 284 (विषैले पदार्थ से जनहानि), 289 (खतरनाक जानवरों के प्रति लापरवाही) सहित NDPS की धाराएं 8, 22, 29, 30 और 32 शामिल थीं।
हालांकि, एल्विश यादव की ओर से दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि यह मामला पूरी तरह निराधार है। उनका कहना है कि शिकायतकर्ता कोई अधिकृत पशु कल्याण अधिकारी नहीं है, और उसने फर्जी पहचान के आधार पर शिकायत दर्ज कराई। यादव ने कोर्ट को बताया कि उनके पास से न तो कोई सांप बरामद हुआ और न ही कोई मादक पदार्थ, और अन्य अभियुक्तों से उनका कोई प्रत्यक्ष संबंध भी नहीं बताया गया है।
याचिका में एल्विश ने यह भी कहा है कि उनकी पहचान एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और टेलीविजन रियलिटी शो में भाग लेने वाले व्यक्ति के तौर पर है, जिससे पुलिस और मीडिया का रुख अत्यधिक संवेदनशील हो गया। उनके अनुसार, NDPS एक्ट की धाराएं बाद में हटा दी गईं क्योंकि पुलिस उन्हें प्रमाणित नहीं कर सकी।
अब अदालत के सामने सवाल यह है कि क्या इस हाई-प्रोफाइल मामले में दाखिल चार्जशीट और समन वाकई कानून की कसौटी पर खरे उतरते हैं या नहीं। यदि हाईकोर्ट एल्विश की याचिका स्वीकार करता है, तो यह मामला रफ्तार पकड़ने से पहले ही ठंडा पड़ सकता है। लेकिन यदि अदालत ने जांच एजेंसियों की कार्रवाई को सही ठहराया, तो एल्विश यादव को लंबी कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ सकता है।
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