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Thursday, June 19, 2025
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डीजीएमओ वार्ता से पहले पीएम मोदी की आपात बैठक, रक्षा प्रमुखों के साथ रणनीतिक चर्चा

इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक जवाब बताया।

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भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच होने वाली अहम बातचीत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर आज एक उच्च-स्तरीय रणनीतिक बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल, वायु और नौसेना के प्रमुखों समेत वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक भारत-पाक सीमा पर हालिया घटनाओं और संभावित सीजफायर उल्लंघनों की पृष्ठभूमि में सुरक्षा रणनीति को धार देने के उद्देश्य से बुलाई गई थी। दोपहर 12 बजे होने वाली डीजीएमओ स्तर की बातचीत में सीजफायर को प्रभावी ढंग से लागू रखने और नियंत्रण रेखा पर दीर्घकालिक शांति बनाए रखने पर चर्चा होनी है।

बैठक में पाकिस्तान की ओर से हालिया संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं को लेकर भी गंभीर विचार-विमर्श हुआ। शनिवार शाम पाकिस्तानी रेंजर्स ने एकतरफा संघर्ष विराम का उल्लंघन किया था, हालांकि रात में स्थिति शांत रही। इसके बाद से पाकिस्तान की ओर से मौखिक रूप से संघर्ष विराम का पालन करने की प्रतिबद्धता जताई गई है।

इससे पहले रविवार को भारतीय थल सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने एक प्रेस ब्रीफिंग में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया, “इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादियों को ढेर किया गया और दर्जनों आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया।” उन्होंने इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक जवाब बताया।

आज की बैठक में यह भी माना जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के असर, एलओसी पर भारत की स्थिति, और पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी संरचनाओं की गतिविधियों का भी विस्तृत मूल्यांकन किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट संकेत दिए कि भारत शांति का पक्षधर जरूर है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। ऐसे में दोपहर की डीजीएमओ वार्ता सिर्फ एक औपचारिक संवाद नहीं, बल्कि एक रणनीतिक सन्देश भी होगी — कि भारत सीजफायर का सम्मान करता है, लेकिन उल्लंघन करने वालों को करारा जवाब देने की तैयारी में है।

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या डीजीएमओ स्तर की बातचीत से दोनों देशों के बीच सीमा पर वास्तविक शांति का रास्ता खुलेगा या यह सिर्फ एक और औपचारिकता बनकर रह जाएगी।

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