हिमाचल प्रदेश में इस समय अतिक्रमण विरोधी अभियान चल रहा है। इसके तहत पिछले 90 दिनों में 330 से अधिक अवैध धर्मस्थलों को तोड़ा गया है। यह अभियान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के सहयोग से चलाया जा रहा है। उत्तराखंड में अवैध धार्मिक स्थलों, खासकर जंगलों में अतिक्रमण को निशाना बनाया जा रहा है। देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध अपने राज्य में हम किसी भी तरह का ‘लव जिहाद’ नहीं चलने देंगे। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड में सभी प्रकार के अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान शुरू किया गया है।
जिम कॉर्बेट वन प्रशासन ने जंगल में दूर स्थित नौ कब्रों को नष्ट कर दिया। अवैध कब्रों में से एक 150 साल पुरानी मानी जाती है। नागरिकों को नियमित सफारी के अलावा अन्य कारणों से इस जंगल में जाने की मनाही है। लेकिन जंगल में इस दरगाह पर जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी। शासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप वनों में अवैध अतिक्रमण के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जा रही है। इस संबंध में एक सप्ताह पहले मजार से जुड़े लोगों को नोटिस दिया गया था। लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। तो इस कब्र को जमीन पर गिरा दिया गया था। पिछले तीन महीनों में राज्य में 325 मजारों को तोड़ा गया है, जिनमें से करीब 91 मजारें वन क्षेत्रों में हैं। अतिक्रमण विरोधी अभियान की निगरानी कर रहे आईएफएस अधिकारी पराग धकाते ने संभागीय वनाधिकारियों को साफ किए गए क्षेत्रों में फलदार पौधे लगाने का निर्देश दिया है।
उत्तराखंड सरकार ने मार्च, 2023 में ऐसे आरक्षित वनों में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान शुरू किया है। सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वे में खुलासा हुआ कि सरकारी जमीन पर 1,400 अवैध धार्मिक स्थल हैं। हालांकि कांग्रेस ने इस कार्रवाई को लेकर चुप्पी साध रखी है। कांग्रेस लगातार 1980 से पहले बने धर्मस्थलों को नियमित करने की मांग करती रही है। वहीं, अधिकारियों ने दावा किया है कि इस कार्रवाई के खिलाफ एक भी व्यक्ति धर्मस्थल का मालिकाना हक दिखाने के लिए आगे नहीं आया है।
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