दिल्ली में सड़कों और जगहों के नाम बदलने का सिलसिला जारी है और अब राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक ‘मुगल गार्डन’ का नाम बदलकर ‘अमृत उद्यान’ कर दिया गया है। बीजेपी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के स्वागत कर गुलामी मानसिकता से बाहर निकलने का एक और फैसला बताया है। राष्ट्रपति भवन में चार उद्यान थे, ईस्ट लॉन, सेंट्रल लॉन, लॉन्ग गार्डन और सर्कुलर गार्डन। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और राम नाथ कोविंद ने हर्बल गार्डन 1 और 2, बोनसाई गार्डन और आरोग्य वन नाम से नए उद्यान विकसित किए। इन सभी पार्कों को ‘अमृत उद्यान’ कहा जाएगा।
चार महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में आयोजित एक भव्य समारोह में ‘राजपथ’ का नाम बदलकर ‘कर्तव्यपथ’ कर दिया गया था। कार्यक्रम में अपने भाषण में मोदी ने कहा, ‘राजपथ’ गुलामी का प्रतीक है और स्वतंत्र भारत को इस मानसिकता को खारिज करना चाहिए। बताया गया कि अब यह मार्ग ‘कर्तव्यपथ’ के नाम से जाना जाएगा। प्रधानमंत्री के विचारों से प्रेरित होकर ‘मुगल गार्डन’ अब ‘अमृत उद्यान’ बन गया है। देश को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं और उसी के लिए अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसकी मान्यता में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के उद्यानों का नाम ‘अमृत उद्यान’ रखा है, राष्ट्रपति भवन के मीडिया विभाग की उप सचिव नविका गुप्ता ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया।
जम्मू-कश्मीर के मुगल गार्डन, ताजमहल के आसपास के बगीचों और भारतीय-फारसी लघुचित्रों से प्रेरित होकर, राष्ट्रपति भवन के 15 एकड़ के विशाल मैदान में विभिन्न उद्यानों का निर्माण किया गया और इन उद्यानों को ‘मुगल गार्डन’ के रूप में जाना जाने लगा। देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने जनता के दर्शन के लिए ‘मुगल गार्डन’ खोला था। उसके बाद हर साल सर्दियों में एक महीने के लिए ‘मुगल गार्डन’ देखा जा सकता था। वहीं आजादी के अमृत जयंती के समय वर्षों की यह पहचान हमेशा के लिए मिट जाएगी। यहां तक कि राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर भी ‘अमृत उद्यान’ का जिक्र दिखने लगा है। राष्ट्रपति भवन से ‘मुगल गार्डन’ की तख्तियां भी हटा दी गई हैं। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर ‘मुगल गार्डन’ का नाम बदलने का स्वागत करते हुए लिखा, ‘आजादी के अमृत में गुलामी की मानसिकता से बाहर आने के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक और ऐतिहासिक फैसला।’ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य नेताओं ने भी नाम बदलने के फैसले की सराहना की है।
31 जनवरी से 26 मार्च तक दो महीनों के लिए प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक 750 से 10000 लोगों को अमृत उद्यान में आने की अनुमति होगी। 28 मार्च से 31 मार्च तक अंतिम चार दिन क्रमशः किसानों, विकलांगों, सेना, अर्धसैनिक और पुलिस बलों और मुख्य रूप से आदिवासी महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। पार्क में 138 प्रकार के गुलाब, 11 प्रकार के ट्यूलिप, मौसमी फूलों की 5000 प्रजातियाँ और कई विविध फूल और पौधे हैं। यहां के फूलों और पेड़ों को एक ‘क्यूआर कोड’ दिया गया है और इसे मोबाइल फोन पर स्कैन करने से तुरंत उसकी जानकारी मिल सकती है।
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