32 C
Mumbai
Friday, April 11, 2025
होमदेश दुनियायुवा लेखक विवान कारुळकर को ब्रिटिश संसद हाउस ऑफ कॉमन्स से मिला...

युवा लेखक विवान कारुळकर को ब्रिटिश संसद हाउस ऑफ कॉमन्स से मिला विशेष सम्मान!

वर्तमान में विवान लंदन में हैं, और उनके साथ उनके पिता, प्रसिद्ध उद्योगपति प्रशांत कारुळकर तथा उनकी मां व करुळकर प्रतिष्ठान की उपाध्यक्ष शीतल कारुळकर भी उपस्थित थीं। इन्हीं की उपस्थिति में विवान को यह सम्मान प्रदान किया गया।

Google News Follow

Related

युवा लेखक विवान कारुळकर को ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें उनकी पुस्तकों “द सनातन धर्म: ट्रू सोर्स ऑफ ऑल साइंसेज” और “द सनातन धर्म: ट्रू सोर्सेस ऑफ ऑल टेक्नोलॉजीज” के लिए मिला है, जिन्हें भारत और विदेशों में सराहा जा रहा है।

ब्रिटिश संसद के सदस्य और कैबिनेट मंत्री गैरेथ थॉमस, जो निर्यात, व्यापार और सेवा विभाग के मंत्री हैं, उन्होंने विवान के कार्य की सराहना करते हुए उन्हें हाउस ऑफ कॉमन्स का प्रतीक चिन्ह और बैज प्रदान किया। यह सम्मान विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह ब्रिटेन की संसद की ओर से दिया गया है।

इस समय विवान लंदन में हैं, जहाँ उनके साथ उनके पिता, प्रसिद्ध उद्योगपति प्रशांत कारुळकर, और उनकी माँ, करुळकर प्रतिष्ठान की उपाध्यक्ष शीतल कारुळकर भी उपस्थित थीं। इन्हीं के सामने विवान को यह प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुआ।

प्रशांत कारुळकर ने ब्रिटिश सरकार का आभार जताते हुए बताया कि विवान इस सम्मान को पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए हरीभाई और रंगभाई का विशेष धन्यवाद भी किया।

विवान ने यह पुस्तक मात्र 16 साल की उम्र में लिखी थी, और इतनी कम उम्र में किए गए उनके गहन शोध को हर तरफ से सराहना मिल रही है। इस पुस्तक के तीन भाषाओं में संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं और अब तकनीक पर आधारित इसका एक अंग्रेज़ी संस्करण भी उपलब्ध है।

विवान की किताबों को भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिल रही है। कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने उनके कार्य की प्रशंसा की है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।

अपनी किताबों के ज़रिए विवान ने यह स्पष्ट किया है कि वेदों में वर्णित ज्ञान ही आज का विज्ञान है। उन्होंने उन लोगों को भी जवाब दिया है जो यह मानते हैं कि विज्ञान और सनातन धर्म का आपस में कोई संबंध नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दिखाया है कि आज की युवा पीढ़ी विज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और परंपराओं की ओर भी सकारात्मक दृष्टिकोण अपना रही है।

यह भी पढ़ें-

US: ट्रंप के ‘टैरिफ बम’ से 1997 के एशियाई वित्तीय संकट के बाद, सबसे खराब गिरावट!

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,151फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
241,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें