युवा लेखक विवान कारुळकर को ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें उनकी पुस्तकों “द सनातन धर्म: ट्रू सोर्स ऑफ ऑल साइंसेज” और “द सनातन धर्म: ट्रू सोर्सेस ऑफ ऑल टेक्नोलॉजीज” के लिए मिला है, जिन्हें भारत और विदेशों में सराहा जा रहा है।
ब्रिटिश संसद के सदस्य और कैबिनेट मंत्री गैरेथ थॉमस, जो निर्यात, व्यापार और सेवा विभाग के मंत्री हैं, उन्होंने विवान के कार्य की सराहना करते हुए उन्हें हाउस ऑफ कॉमन्स का प्रतीक चिन्ह और बैज प्रदान किया। यह सम्मान विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह ब्रिटेन की संसद की ओर से दिया गया है।
इस समय विवान लंदन में हैं, जहाँ उनके साथ उनके पिता, प्रसिद्ध उद्योगपति प्रशांत कारुळकर, और उनकी माँ, करुळकर प्रतिष्ठान की उपाध्यक्ष शीतल कारुळकर भी उपस्थित थीं। इन्हीं के सामने विवान को यह प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुआ।
प्रशांत कारुळकर ने ब्रिटिश सरकार का आभार जताते हुए बताया कि विवान इस सम्मान को पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए हरीभाई और रंगभाई का विशेष धन्यवाद भी किया।
विवान ने यह पुस्तक मात्र 16 साल की उम्र में लिखी थी, और इतनी कम उम्र में किए गए उनके गहन शोध को हर तरफ से सराहना मिल रही है। इस पुस्तक के तीन भाषाओं में संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं और अब तकनीक पर आधारित इसका एक अंग्रेज़ी संस्करण भी उपलब्ध है।
विवान की किताबों को भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिल रही है। कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने उनके कार्य की प्रशंसा की है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
अपनी किताबों के ज़रिए विवान ने यह स्पष्ट किया है कि वेदों में वर्णित ज्ञान ही आज का विज्ञान है। उन्होंने उन लोगों को भी जवाब दिया है जो यह मानते हैं कि विज्ञान और सनातन धर्म का आपस में कोई संबंध नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दिखाया है कि आज की युवा पीढ़ी विज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और परंपराओं की ओर भी सकारात्मक दृष्टिकोण अपना रही है।
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