उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि बैठक में म्यूजियम की गैलरी के लिए डिस्प्ले सामग्री और आधुनिक तकनीकों पर निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य श्रद्धालुओं को रामकथा और मंदिर के इतिहास को आकर्षक और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना है। इसके लिए विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श कर नवीनतम तकनीकों का चयन किया गया है। म्यूजियम में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को प्रदर्शित किया जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठा अनुभव होगा।
पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए मिश्रा ने कहा कि मंदिर परिसर को जीरो डिस्चार्ज नीति के तहत विकसित किया जाएगा, ताकि अयोध्या शहर में किसी भी प्रकार का पर्यावरणीय प्रदूषण न हो। परिसर का 60 प्रतिशत हिस्सा उद्यान और फलदार पौधों के लिए आरक्षित होगा। इसके लिए 8 एकड़ भूमि पर एक विशाल उद्यान विकसित करने का निर्णय लिया गया है, जिसे संभवतः ‘पंचवटी’ नाम दिया जाएगा। इस उद्यान में रामकथा को दृश्य रूप में प्रस्तुत करने की योजना है, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होगा।
उन्होंने कहा कि उद्यान और पर्यावरण से संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी जीएमआर समूह को सौंपी गई है। यह कंपनी हवाई अड्डों के संचालन के लिए जानी जाती है और आंध्र प्रदेश के एक प्रमुख व्यापारिक समूह से जुड़ी है।
इसके अलावा, मिश्रा ने बताया कि 23 मई को राम दरबार की प्रतिमा मंदिर में पहुंचेगी, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 3 जून से शुरू होगी। राम मंदिर परिसर का यह विकास न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
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