22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुए जघन्य इस्लामी हमले से भारत ही नहीं विश्वभर को झकझोर कर रख दिया है। दरम्यान ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ (NYT) को अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति ने कड़ी फटकार लगाई है, वो भी इस बात पर कि उन्होंने आतंकियों को ‘चरमपंथी’ और ‘बंदूकधारी’ जैसे मुलायम शब्दों का इस्तेमाल किया है। यह कोई पहली बार नहीं है की NYT भारत विरोधियों के लिए बाहें फैलाकर खड़ा रहा है।
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में NYT की रिपोर्टिंग शैली पर तंज कसते हुए लिखा—“हमने इसे आपके लिए ठीक कर दिया है। यह स्पष्ट रूप से एक आतंकवादी हमला था।” इसके साथ उन्होंने रिपोर्ट के मूल शीर्षक की एक तस्वीर भी साझा की, जिसमें ‘चरमपंथियों’ शब्द को लाल रंग से काटकर ऊपर ‘आतंकवादियों’ लिखा गया था। समिति ने NYT पर निशाना साधते हुए यह भी जोड़ा, “चाहे वह भारत हो या इज़रायल, जब आतंकवाद की बात आती है तो न्यूयॉर्क टाइम्स वास्तविकता से दूर चला जाता है।”
हमला उस समय हुआ जब दर्जनों पर्यटक बैसरन घाटी में मौज-मस्ती कर रहे थे। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने इस बर्बर हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें अब तक 26 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में इस खूनी हमले को ‘गोलीबारी’ की एक घटना के रूप में प्रस्तुत किया और हमलावरों को ‘बंदूकधारी’ कहकर संतुलन साधने का प्रयास किया, मानो आतंक की परिभाषा कुछ देशों में अलग हो जाती हो। लेकिन यही बात अमेरिकी राजनीति को चुभ गई।
Hey, @nytimes we fixed it for you. This was a TERRORIST ATTACK plain and simple.
Whether it’s India or Israel, when it comes to TERRORISM the NYT is removed from reality. pic.twitter.com/7PefEKMtdq
— House Foreign Affairs Committee Majority (@HouseForeignGOP) April 23, 2025
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात कर संवेदना व्यक्त की और आतंकियों के खिलाफ भारत को “पूर्ण समर्थन” देने का आश्वासन दिया। वहीं, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी प्रधानमंत्री मोदी से बात की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता दोहराई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक साथ खड़े हैं।”
यह घटना एक बार फिर इस प्रश्न को जन्म देती है की क्यों अंतरराष्ट्रीय मीडिया आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दोहरी दृष्टि अपनाता है? क्या यह “पत्रकारिता” है या पक्षपातपूर्ण नैरेटिव से आतंकियों की ओर से जनभावना तैयार करना? एक बात तो साफ है—आतंकवाद को ‘चरमपंथ’ कहकर नर्म बनाने की कोशिश NTY जैसे छद्मी और पक्षपाती न्यूज़ संस्थान का आतंकी विचारधारा से समझौता है।
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