देशभर में शुक्रवार (7 मार्च) को होली धूमधाम से मनाई जाएगी, जबकि उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक ऐसा क्षेत्र ऐसा भी है जहां होली के दिन लोग रंग और गुलाल नहीं उड़ेंगे बल्कि शोक मनाया जाएगा। होली के दिन जहां लोग रंगों की फुहारों का आनंद लेते हैं, वहीं रायबरेली के डलमऊ में होली के दिन 28 गांवों में शोक मनाया जाता है। इन गांवों के लोग होली के पर्व के तीन दिन बाद होली खेलते हैं।
डलमऊ के नगर पंचायत अध्यक्ष ब्रजेश दत्त गौड़ ने बताया कि डलमऊ में होली के दिन 28 गांवों में शोक मनाया जाता है। यह 700 वर्ष पुरानी परंपरा है। होली के दिन राजा डालदेव के बलिदान के कारण शोक की परंपरा आज भी चली आ रही है। उन्होंने बताया कि 1321ई. में राजा डालदेव होली का जश्न मना रहे थे, दौरान जौनपुर के शाह शर्की की सेना ने डलमऊ के किले पर आक्रमण किया था। राजा डालदेव युद्ध करने के लिए 200 सिपाहियों के साथ मैदान में कूद पड़े थे। शाह शर्की की सेना से युद्ध करते समय पखरौली गांव के निकट राजा डलदेव वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
यह भी पढ़ें:
न्यूयॉर्क में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ फिलिस्तीन समर्थकों की रैली!
दरभंगा : मेयर अंजुम आरा की अजीब अपील, ‘नमाज के लिए होली पर दो घंटे तक लगे रोक’
जम्मू-कश्मीर के सांबा में संदिग्ध गतिविधियां: सिमा सुरक्षा और भी कड़ी की गई, तलाशी अभियान जारी!
इस युद्ध में राजा डालदेव के 200 सैनिकों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। जबकि, शाह शर्की के दो हजार सैनिक मारे गए थे। डलमऊ तहसील क्षेत्र के 28 गांवों में होली आते ही उस घटना की यादें ताजा हो जाती हैं।
युद्ध में राजा के बलिदान के कारण 28 गांवों में आज भी तीन दिनों का शोक मनाया जाता है। रंगों का त्योहार आते ही डलमऊ की ऐतिहासिक घटना की याद ताजा हो जाती है, जिसके कारण लोग होली का आनंद नहीं लेते और शोक में डूबे रहते हैं।