प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 अप्रैल से 6 अप्रैल तक थाईलैंड और श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। इस दौरान वे बैंकॉक में बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ उच्चस्तरीय वार्ता करेंगे। इस यात्रा को भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी 3-4 अप्रैल को बैंकॉक में आयोजित बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस सम्मेलन की मेजबानी थाईलैंड कर रहा है, जो इस संगठन का वर्तमान अध्यक्ष है। इस वर्ष सम्मेलन का विषय ‘बिम्सटेक – समृद्ध, लचीला और खुला’ रखा गया है।
बिम्सटेक (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, नेपाल और भूटान शामिल हैं। यह संगठन व्यापार, निवेश, सुरक्षा, कनेक्टिविटी और आपदा प्रबंधन सहित कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस शिखर सम्मेलन के दौरान सदस्य देश क्षेत्रीय सहयोग को और अधिक प्रभावी बनाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। भारत की ओर से डिजिटल कनेक्टिविटी, व्यापार सुगमता और सुरक्षा सहयोग को लेकर नई पहलें प्रस्तावित की जा सकती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी अपनी इस यात्रा के दौरान थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा से भी मुलाकात करेंगे। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को लेकर चर्चा होगी और व्यापार, पर्यटन, रक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के प्रयासों पर बल दिया जाएगा। थाईलैंड के बाद प्रधानमंत्री मोदी 4 से 6 अप्रैल तक श्रीलंका की राजकीय यात्रा पर रहेंगे। यह यात्रा श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के निमंत्रण पर हो रही है।
इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी, जिसमें आर्थिक सहयोग, सुरक्षा, ऊर्जा और विकास परियोजनाओं पर चर्चा होगी। भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच वर्षों से घनिष्ठ सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंध रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी इस यात्रा के दौरान अनुराधापुरा भी जाएंगे, जहां वे भारतीय वित्तीय सहायता से निर्मित विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा, वह श्रीलंका के वरिष्ठ नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों से भी मुलाकात करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की ‘नेबर फर्स्ट’ नीति, ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सक्रिय भूमिका को दर्शाती है। यह यात्रा क्षेत्रीय सहयोग को नई गति देने और भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित की गई है।
प्रधानमंत्री मोदी की पिछली श्रीलंका यात्रा 2019 में हुई थी, जबकि राष्ट्रपति दिसानायके ने पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना था। इससे दोनों देशों के बीच गहरे द्विपक्षीय संबंधों की झलक मिलती है।
क्या मिलेगा भारत को?
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से भारत को कई रणनीतिक और आर्थिक लाभ मिल सकते हैं। बिम्सटेक सहयोग को और अधिक मजबूती मिलने की संभावना है, जिससे व्यापार और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा। थाईलैंड के साथ रणनीतिक संबंधों को और मजबूत किया जा सकता है। इससे पर्यटन, व्यापार और रक्षा क्षेत्र में नए समझौते होने की उम्मीद है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि से आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी। श्रीलंका में भारत की भागीदारी बढ़ने की संभावना है। इस यात्रा के दौरान बुनियादी ढांचे, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र में नई साझेदारियां बन सकती हैं। कहा जा रहा है की इससे भारत-श्रीलंका संबंध और मजबूत होंगे और क्षेत्रीय स्थिरता को भी बढ़ावा मिलेगा।
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