प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात के आनंद में प्राकृतिक खेती पर आयोजित एक शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राचीन ज्ञान को वैज्ञानिक तरीके से अपनाना चाहिए। उन्होंने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती करनी चाहिए। इसका सबसे ज्यादा लाभ छोटे किसानों को होगा। पीएम मोदी ने इस दौरान राज्यों से अपील की कि प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाएं।
पीएम मोदी ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि हमें खेती की तकनीक में होने वाली गलतियों से छुटकारा पाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जानकारों का कहना है कि खेत को जलाने से खेत की उर्वरक नष्ट होती है। इसलिए किसानों को खेत में पराली नहीं जलानी चाहिए। उन्होंने कहा कि खेत में पराली जलने की परम्परा बन गई है। जब खेत में पराली जलाई जाती है तो मिट्टी तपती है ईंट बन जाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब वह समय आ गया है जब खेती को रसायन की प्रयोगशाला से निकालकर प्राकृतिक प्रयोगशाला से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राचीन कृषि ज्ञानों को फिर सीखने की जरूरत है साथ ही उसे आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने की भी आवश्यकता है।
पीएम मोदी ने इस दौरान किसानों को अधिक कीटनाशक के उपयोग से होने वाले प्रभाव के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि इसका असर केवल किसानों पर ही नहीं पड़ता है बल्कि गरीब के रसोई के साथ और उसका उपयोग करने वाले पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों दूरदराज देशों से अरबों करोड़ों खर्च कर लाया जाता है। इससे खेती की लागत में इजाफा होता है और किसानों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। जिससे लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।
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