कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह अनुमति कुछ शर्तों के अधीन होगी, जिनमें एक लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद (एफडीआर) कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करनी होगी। साथ ही अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भी उपलब्ध कराना होगा, जो विदेश यात्रा के दौरान हर समय चालू रहना चाहिए।
इसके अलावा, हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट में जमा उनका पासपोर्ट उन्हें विदेश यात्रा के लिए सौंपा जाए, लेकिन भारत लौटने के बाद इसे पुनः अदालत में जमा करना अनिवार्य होगा।
यह मामला नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत दर्ज है, जिसमें राजपाल यादव को पिछले साल सजा सुनाई गई थी। उन्होंने और उनकी पत्नी ने इस सजा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
बता दें कि 2010 में राजपाल यादव ने बतौर डायरेक्टर अपनी फिल्म ‘अता-पता लापता’ के लिए 5 करोड़ रुपए का लोन लिया था, लेकिन वह इस रकम को लौटा नहीं पाए। जिसके बाद उनके और अन्य के खिलाफ चेक बाउंस से जुड़ी सात अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई गईं। मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने राजपाल को कई नोटिस भेजे, लेकिन वह कोर्ट में पेश नहीं हुए।
साल 2013 में उन्हें 10 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उन्होंने 3 से 6 दिसंबर 2013 तक जेल में चार दिन काटे थे, जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने उनकी अपील पर सजा निलंबित कर दी थी।
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