रूस सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसे ‘अवांछनीय संगठन’ घोषित कर दिया है और उसकी रूस में सभी गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। रूसी महाभियोजक कार्यालय ने एक बयान में कहा कि लंदन स्थित एमनेस्टी का मुख्यालय “वैश्विक रूस विरोधी (रूसोफोबिक) परियोजनाओं की तैयारी का केंद्र” बन गया है और यह समूह यूक्रेन के पक्ष में सक्रिय वकालत कर रहा है।
बयान में आरोप लगाया गया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल “क्षेत्र में सैन्य टकराव को भड़काने, यूक्रेनी नव-नाज़ियों के अपराधों को उचित ठहराने और उनके वित्तपोषण की मांग करने” में लिप्त है। साथ ही, संगठन पर “रूस को राजनीतिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की साजिश” का भी आरोप लगाया गया।
रूसी कानून के अनुसार, ‘अवांछनीय’ (undesirable) पदनाम का अर्थ है कि संगठन रूस में किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं चला सकता, और उसके साथ सहयोग करने वाले रूसी नागरिकों को पांच साल तक की जेल की सजा हो सकती है। यह कड़ा कानून 2015 में लागू किया गया था। इससे पहले, रूस ने ग्रीनपीस और रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी जैसे संगठनों को भी इसी श्रेणी में रखा था।
रिपोर्ट के अनुसार, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह संस्था अपने आप को मानवाधिकार संगठन बताती है, और पिछले 2 सालों से रूस में मानवाधिकार उल्लंघन की रिपोर्ट्स प्रकाशित कर चुकी है।
इस बीच, रूस और यूक्रेन ने तुर्की के इस्तांबुल स्थित डोलमाबाचे पैलेस में मुलाकात कर एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। दोनों देशों ने 1,000 युद्धबंदियों की अदला-बदली पर सहमति जताई है। यह बैठक तीन वर्षों में दोनों देशों के बीच पहली प्रत्यक्ष वार्ता थी। यूक्रेनी प्रतिनिधि रुस्तम उमरोव और रूसी राष्ट्रपति के सहयोगी व्लादिमीर मेडिंस्की ने इस वार्ता में हिस्सा लिया। रुस्तम उमरोव के अनुसार, बैठक में युद्धविराम और दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की सीधी मुलाकात पर भी चर्चा हुई। मेडिंस्की ने पुष्टि की कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को विस्तृत प्रस्ताव देंगे और वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।
रूस ने इस बैठक को 2022 की शुरुआत में हुई शुरुआती शांति वार्ताओं की अगली कड़ी बताया है, जब उसने यूक्रेन से अपनी सेना के आकार में कटौती करने की मांग की थी।
रूस द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशनल पर प्रतिबंध लगाना उस दिशा में एक और कदम है जहां अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और आलोचकों के लिए जगह सीमित होती दिखती है।
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